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कंप्यूटर क्या है अब समझें हिंदी में || what is computer now understand in hindi

कंप्यूटर का सामान्य परिचय

 Introduction
कम्प्यूटर आज हमारे जीवन मे कई तरह से उपयोग में लाये जा रहे है, शिक्षा और संचार के क्षेत्र मे यह अति उपयोगी होता जा रहा है। कोर्स का अपने इनटेरेस्ट के अनुसार पढने मे तथा संचार और मल्टीमीडिया के द्वारा यह हमारे जीवन मे अति उपयोगी हो गया है।

 उद्देश्य (Objective)
इस पोस्ट को पढ़ने के बाद विद्यार्थी को कम्प्यूटर के पार्ट को पहचानने में, उसके विशेषताए को जानने मे, उसका उपयोग करने मे तथा कम्प्यूटर में प्रयोग होने वाली इनपुट डिवाइस और आउटपुट डिवाइस के बारे जानकारी प्राप्त हो जायेगी।

कंप्यूटर का अर्थ और परिभाषा
What is Computer ?
कम्प्यूटर, वास्तव में अपने मुख्य कार्य कमप्युट से बना है। पहले जब हम कम्प्यूटर का प्रयोग सिर्फ गणना के लिए करते थे,तब कम्प्युटर की परिभाषा थी "वह डिवाइस जो डाटा के कैल्कुलेशन में प्रयोग की जाती थी कम्प्युटर कहलाती थी।" यह अंकगणतीय और लाजिकल गणना करती थी परन्तु इनदिनो कम्प्युटर का प्रयोग विस्तृत रुप में विभिन्न क्षेत्रो जैसे विडियो, आडियो, म्युजिक, ग्राफिक्स आदि के लिए भी किया जा रहा है अतः इसकी परिभाषा भी बदल गयी है। 'कम्प्युटर एक डिवाइस है जो कि इन्स्ट्रक्शन की सीरीज या डाटा को इनपुट के रुप मे लेकर उसे प्रोसेसिंग के बाद इन्फार्मेशन के रुप में आउटपुट देता है।
इनपुट डाटा के प्रकार-
(a) Numeric Data
(b) Alphabets
(c) Alphanumeric data

 कंप्यूटर का इतिहास क्या है
History of Computer

कंप्यूटर का इतिहास -रोमनों ने अबेकस को गणना करने वाला पहला उपकरण कहा। बाद में पास्कल, लॉरेंस, जैकब,इटौसोफेरी आदि ने कई यंत्र बनाए लेकिन किसी भी उपकरण में मेमोरी नहीं थी। बाद में सत्रहवीं शताब्दी में, चार्ल्स बावेज ने एक विश्लेषणात्मक और विभेदक मशीन का आविष्कार किया जिसमें मेमोरी डाली गई थी। आधुनिक युग की शुरुआत उक्त मशीन के आविष्कार से हुई, बाद में मेमोरी आज के सभी कंप्यूटरों में सबसे बड़ी विशेषता है, जिसके कारण चार्ल्स बावेज को कंप्यूटर का जनक कहा जाता है। ENIAC पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर है। इसने इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर के युग की शुरुआत को चिह्नित किया। इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर को चार पीढ़ियों में बांटा गया है जो नीचे दिखाया गया है।

कंप्यूटर की विशेषताएं क्या क्या है
Characteristics of Computer System-
कम्प्यूटर एक फास्ट एवं एक्युरेट इलेक्ट्रानिक डिवाइस है यह डाटा को स्टोर करता है जिसे बाद मे आप यूज कर सकते है। इसकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं-

(a) Speed and Accuracy:
कम्प्यूटर डाटा को इक्जिक्युट करता है और इसका सबसे महत्वपूर्ण फीचर है स्पीड जो क्लाक साइकिल मे नापा जाता है। डाटा का मेमोरी से प्रोसेसर में प्रोसेसिंग के लिए जाना और उसको प्रोसेसिंग के बाद मेमोरी वापस आना एक क्लाक साइकिल कहलाता है। इसको नापने के लिए मदरबोर्ड पर एक क्लाक लगा होता है। क्लाक साइकल को हर्ट्ज कहते है। दूसरी सबसे महत्वपूर्ण फीचर है एक्यूरेसी जो कि इन्सट्रक्शन को कैलकुलेट करता है बिना किसी इरर के ।

(b) Storage Media: 
स्टोर मीडिया में हम डाटा को स्टोर करते हैं जिसे यूजर बाद में फिर जरूरत पड़ने पर यूज कर सकता है। इसी फीचर के द्वारा हम कलकुलेटर और कम्प्यूटर में अन्तर बताते है क्योंकि कम्प्यूटर में सेकेण्डरी स्टोरेज मेमोरी होती है और कैलकुलेटर में सेकेण्डरी स्टोरेज नहीं होती है जिससे हम कम्प्युटर गे तो डाटा को सेव कर सकते है परन्तु कैलकुलेटर में डाटा को स्टोर नहीं कर सकते हैं जिसे हम बाद में यूज कर पायें।

कंप्यूटर के मूल अनुप्रयोग
Basic Applications of Computer-
कम्प्यूटर का प्रयोग आज सूचना को अदान प्रदान के लिए , शिक्षा में, तकनीक विज्ञान आदि क्षेत्रो मे करते है। यह कम्प्यूटर आधारित समाज का आन्दोलन को दिशा दे रहा है। यह सब आज सोसाइटी मे अति महत्वपूर्ण हो चुका है। कम्प्युटर इन्फार्मेशन प्रोसेसिंग टूल है। कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी हमे सूचना के अदान प्रदान में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज ये हमारे जीवन कई दिशाओ मे प्रभावित कर रही है उनने से कुछ है शिक्षा के क्षेत्र में यह आडियो विडिओ, पिक्चर सीडी लेक्चर नोट आदि के लिए सॉफ्ट या हार्ड कापी के रुप मे कम्पयूटर महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है। आन लाइन परीक्ष, आन लाइन फार्म, आदि भी में इसका योगदान है। इसके साथ इसका प्रयोग स्कूलों. कालेजों, विश्वविद्यालयों में भी है। कम्प्यूटर का प्रयोग हम दूरस्थ शिक्षा में मैनेजमेंट में ट्रेनिंग प्रोग्राम और शोध आदि इन सभी क्षेत्रों में इसका प्रयोग व्यापक स्तर पर करते हैं।

कंप्यूटर सिस्टम के घटक कौन कौन से है
Components of Computer System-
कम्प्यूटर सिस्टम के बारे में एक बार किसी ने कहा था कि "यह कहना उचित होगा कि पर्सनल कम्प्यूटर सबसे शक्तिशाली एमपावरिंग टूल हो गया है। ये कम्प्युनिकेशन के टूल, ये क्रियेटिविटी के टूल हो चुके है और अपने यूजर द्वारा बनाये जाते है।" वास्तव में हम जब भी कम्प्युटर के बारे में सोचता हूं तो यह पर्सनल कम्प्यूटर ही हमारे ध्यान में आता है। यहां पर कम्प्यूटर कम्पोनेट का मतलब पर्सनल कम्प्यूटर के कम्पोनेन्ट के बारे में कहा गया है।

सी पी यू क्या होता है
Central Processing Unit (CPU)-
यह कम्प्यूटर का एक महत्वपूर्ण यूनिट है सी०पी०यू० को कम्प्यूटर का दिमाग भी कहते हैं यह इलेक्ट्रानिक सर्किट से बना होता है। जो कि वास्तव मे डाटा को प्रोसेस करता है। यह लाखो सिलीकॉन से बनी हुयी सर्किट से बनी होती है सी०पी०यू० को हम माइक्रो प्रोपोसर भी कहते हैं यह डाटा को नियन्त्रित को नियंत्रित और कई सारी कनेक्टेड डिवाइसों में भेजता है। सी०पी०यू० के निम्नलिखित अंग हैं-

ए एल यू का क्या कार्य है
ALU (Arithmetic Logic Unit): 
ए०एल०यू० यूनिट का प्रयोग गणितीय और लॉजिकल कार्यो करने के लिए होता है। इस यूनिट के द्वारा जोड़ना, घटाना, भाग करना, गुणा करना आदि कार्य होता है। साथ ही यह लाजिकल कार्य भी करता है।
(a) इलिमेन्ट्स को काउन्ट एवं उसके एप्रोच को टेस्ट करना।
(b) क्वानटिटीज की तुलनात्मक करना।
(c) रूट डिसाइड करना।

अर्थमेरिट लॉजिक यूनिट के सारे कम्पोनेट बहुत तेजी से काम करते है और साथ ही साथ अर्थमेटिक और लॉजिकल गणनाओं को भी करते है यह डाटा को मेमोरी से लेते है और सूचनाओं के रूप में प्रदर्शित करते है। ये कन्ट्रोल यूनिट से निर्देशित किये जाते है।

कन्ट्रोल यूनिट क्या है
CONTROL UNIT(CU) : 
यह यूनिट कम्प्यूटर सिस्टम को कन्ट्रोल करता है उसकी दूसरी सभी क्रियाकलापों को कोआर्डिनेट करता है। इसके कार्य निम्नलिखत है।
(a) यह मेमोरी यूनिट से सूचनाएँ लेता है।
(b) यह निर्देशों को बदलता है।
(c) यह डाटा के सही रुट और सही टाइम को सेट करता है।


Register :- 
यह एक तरीके का स्टोरेज है जो कि बहुत ही फास्ट होता है । डाटा प्रोसेसिंग के समय सभी डाटा इससे होकर ही प्रोसेसिंग के लिए जाता है। उदाहरण-अगर आप दो नम्बर को जोड़ना चाहते है तो उन नम्बरों को रजिस्टर में होना चाहिए और जो इनका परिणाम होगा उसे भी रजिस्टर में होगा । रजिस्टर मेमोरी के एड्रेस को रखता है जहाँ पर वास्तविक डाटा स्टोर होता है।

Keyboard, Mouse and VDU

Keyboard: यह एक महत्त्वपूर्ण इनपुट डिवाइज है इसको सामान्यतः क्वाइर्टी कीबोर्ड कहते है। क्वाइर्टी कीबोर्ड में सबसे ऊपर की रो के की सिक्वेन्श अल्फाबेट की प्रथम लाइन QWERTY लिखा होता है इसीलिए इसे क्याइर्टी कीबोर्ड कहते है। यह टाइपराइट के समान होता है कीबोर्ड को कई प्रकार के कार्य करने में प्रयोग करते है। डाटा इन्ट्री एक वेलनोन कार्य है। इसका प्रयोग टाइपिग मे किया जाता है। मेमो रिपोर्ट लिखने, डाकूमेन्ट बनाने के लिए भी इसका प्रयोग हम करते है।

Mouse: यह एक छोटी डिवाइस है, इसका प्रयोग माउस प्वाइन्टर की दिशा बदलने में और कर्शर को. लोकेट करने के लिए करते है। इसको पॉन्टिग डिवाइस या लोकेटर भी कहा जाता है। इसके विभिन्न प्रकार है जैसे-बाल माउस या मकेनिकल माउस, ओप्टीकल माउस, कार्डलेश माउस आदि प्रकार के प्रयोग करते है। मकेनिकल माउस को फिजिकल माउस भी कहते है। जो बाल माउस के सिद्धान्त पर घूमता है। ओप्टीकल माउस लेजर माउस लाइट सिंग्नल पर आधारित होता है। 

VDU (Visual Display Unit)- यह एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग हम डाटा या इनफारमेशन को देखने के लिए करते है इसको वीडीयू भी कह सकते है। यह यूजर और कम्प्यूटर के बीच विजूवल लिंक देता है। यह एक डिशप्ले डिवाइस होती है जो कि टेक्सट और ग्राफिक्स को आउटपुट के रूप में डिस्प्ले देता है। मानीटर को विभिन्न प्रकार के टेक्नोलॉजी से यूज करते है जैसे कि कैथोड रे ट्यूब (सी०आर०टी०) यह वैक्यूम ट्यूब टेक्नोलॉजी पर आधारित होती है और उसके स्क्रीन पर आउटपुट दिखाई देता है। 

Liquid Crystal Display (LCD)-एक डिवाइस है जो कि पोलाराइज्ड लाइट के द्वारा पिक्चर बनाता है। इसमे लिक्यूड क्रिटल मैटेरियल इन्टर्नल लाइट के द्वारा पोलोराइज्ड होकर इमेज बनाता है वीउियो दो सब सिस्टम से मिलकर बना होता है। मानिटर और विडियो एडाप्टर जिसे कभी कभी विडियो कार्ड भी कहा जाता है।


अन्य इनपुट डिवाइस
Other Input Devices

इनपुट डिवाइस को कन्ट्रोल यूनिट, कन्ट्रोल करता है और यह सीधे सी०पी०यू0 से कम्युनिकेट होती है जिन्हें इनटेरैक्टिव इनपुट डिवाइस कहते है। कुछ डिवाइसे निम्न है -

(a) Data Glove- यह अर्टिफिसीयल एनिमेटेड आब्जेक्ट के साथ इनटेरैक्ट होता है। यह कई प्रकर के सेन्सर को सीरिज में जोड़ कर बना होता है। जो कि हाथ और अंगुलियों की गति को डिटेक्ट करता है।

(b) Digitizers- इसका उपयोग दो या तीन डायमेन्शनल प्लेस के क्वाडीनेट वैल्यु को इनपुट करने में करते है। ग्राफिक्स टेवल एक प्रकार के डिजिटाइजर का उदाहरण है।

(c) Speech Recognizers- इसको वाइस सिस्टम भी कहा जाता है। इसका प्रयोग ग्राफिक्स कार्य में या डाटा को इन्टर करने में करते है।

(d) MICR (Magnetic Ink Character Readers)- इस डिवाइस का प्रयोग बैंक मे चेक को प्रोसेस करने के लिए किया जाता है। चेक के (नीचे) बाटम पर लिखे गये कोड को जिसमे डिपोजिटर के एकाउन्ट नम्बर और बैंक आइडेन्टीफिकेशन नम्बर को आईडेन्टीफाई करता है।

(e) OCR (Optical Character Recognition)- यह एक प्रकार स्पेशल स्कैनर होता है जो उसमें लिये अक्षरों को सीधे स्कैन कर लेता है बिना किसी स्पेशल इंक के पढ़ लेता है।

(f) Light Pen- यह डिवाइस बहुत लम्बे समय तक अपनी लोकप्रियता को बनाये नही रह पायी जैसा कि दूसरी इनपुट डिवाइस की है। इसका प्रयोग हम स्क्रीन इमेज के लिए करते है।

(g) Track Ball- यह डिवाइस भी माउस के तरीके की एक इनपुट डिवाइस है जिसमे दो बटन होती है। इसमे एक बेस होता है और उसके ऊपर बाल लगी होती हैं जो कि उसी पर घूमती है।


अन्य आउटपुट डिवाइस
Other Output devices

आउटपुट डिवाइस का प्रयोग इलेक्ट्रानिकली और पेपर पर डाटा को प्रोसेसिंग के बाद रिजल्ट के रुप मे लेते है। प्रिंटर और मानीटर कामन आउटपुट डिवाइस है जो कि रिजल्ट को जनरेट करता है। आउटपुट डिवाइस के द्वारा दो प्रकार से परिणाम को प्राप्त कर सकते है।

1.Hardcopy output: इस प्रकार का आउटपुट परमामेन्ट और नान-इलक्ट्रानिक होता है इसका प्रयोग बाद मे कभी भी किया जा सकता है। ये समान्यतः पेपर पर और रिपोर्ट प्रिंट करते है। यह एक हार्ड कापी प्रोड्यूस करने वाली डिवाइस होती है। जैसे कि हम कम्प्यूटर से प्रिन्ट देने पर हमें कागज पर छपे पेपर प्राप्त होते है। यह हम प्रिन्टर,और पंचकार्ड के द्वारा हार्डकापी प्राप्त करते है।

2.Printers : प्रिन्टर एक तरीके का आउटपुट डिवाइस है जो अक्षर, पिक्चर आदि का प्रिन्ट आउस
पेपर पर छापता है। जिसे हम हार्ड कापी कहते है। जो कि प्रिन्टिग टेक्नोलाजी पर आधारित होता है।
यह दो प्रकार का होता है।

(a) Impact Printers :- वह एक तरीके से टाइपराइट जैसा होता है। जिसमें कार्बन और रिवन लगे होते है और पेपर पर अक्षर को प्रदर्शित करते है। इस प्रकार की डिवाइस आवाज ज्यादा करती है और निम्न ग्राफिक्स को प्रदर्शित करती है। इस तरह के प्रिन्टर दो प्रकार के होते हैं-

A- Serial Character Impact Printer :- यह प्रिन्टर जैसे डाटमैट्रिक्स, डेजीव्हील, गोल्फ बाल या सिलेण्डर प्रिन्टर आदि।
B-Line Printer : उदाहरण के लिए चेन, प्रिन्टर, ड्रम प्रिन्टर, और बैंड प्रिन्टर।

(b) Nonimpact Printers- इस तरह के प्रिन्टर हेड बिना किसी हैमर किये गये पेपर पर अक्षर या इमेज को छापता है इसमें थर्मल इलेक्ट्रो स्टैटिक्स या इंकजेट टेक्नालॉजी का प्रयोग किया जा रहा है यह काफी तेज एवं आवाज कम करने वाले डिवास होती हैं मुख्य नान इम्पैक्ट प्रिन्टर हैं- इंकजेट प्रिन्टर,और लेजर जेट प्रिन्टर। यह प्रिन्टर दो केटेगरी में बांटे जा सकते हैं, कलर प्रिन्टर और ब्लैक
एण्ड व्हाइट प्रिन्टर।

Plotter-प्लाटर का प्रयोग हम उच्च ग्राफिक्स के लिए करते है। डाट मैट्रिक्स प्रिन्टर की स्पीड 50-500 अक्षर प्रति सेकेण्ड होती है, और एक इंकजेट प्रिन्टर 1 से 3 पेज पर मिनट प्रिन्ट करता है। लेजर प्रिन्टर स्पीड 4-20 पेज प्रति मिनट प्रिन्ट करता है।

2. Softcopy output : - इस प्रकार कि इलेक्ट्रानिक डिवाइस साफट आउटपुट देती हैं 
जैसे - स्पीकर, साउण्ड को आउटपुट के रूप में और स्क्रीन डिस्प्ले आउटपुट के रूप में साफट आउटपुट देता है। साफट कापी को स्क्रीन पर सीधा देख सकते हैं या स्पीकर से सुन सकते हैं। प्रोजेक्टर इसका एक उदाहरण है।


मेमोरी क्या है और इसके प्रकार
What is memory and its types

Computer Memory : - कम्प्यूटर मेमोरी डाला को स्टोर करने में यूज होती हैं। मेमोरी लार्ज नम्बर ऑफ सेल्स में टूटी होती है। प्रत्येक सेल एक विट इन्फोमेशन को बाइन्डरी डिजीट के रूप में स्टोर करता है। मेमोरी का उपयोग कम्प्यूटर में डाटा' को स्टोर करने और बाद में उसे रिट्रावी करने में होता है। इस कार्य में विभिन्न प्रकार के डिवाइसेस प्रयोग कि जाती हैं।

मेमोरी के प्रकार :- मेमारी सिस्टम तीन प्रकार की होती है।
(a) Processor Memories:- प्रोसेसर मेमोरी वह आन्तरिक मेमोरी होती है जो कि प्रोसेसिग के समय डाटा को होल्ड करती है। यह दो प्रकार की होती हैं-

(i) Register:- यह सबसे छोटी एवं सबसे तेज मेमोरी होती है।
(ii)Cache:- यह एक बफर मेमोरी है जो कि प्रोसेसिंग के समय डाटा को इन्टरलन यूज के लिए स्टोर करता है।

(b) Primary Memory :-  यह मेमोरी प्रोसेसर मेमोरी से बड़ी और इसकी स्पीड प्रोसेसर मेमोरी से
कम होती है। यह मुख्यतः इन्टीग्रेटेड सर्किट पर आधारित होती है। प्राइमरी मेमोरी को मेन मेमोरी भी कहा जाता है। यह दो प्रकार की होती है।

(Randam Access Memory (RAM):- यह मेमोरी रीड राइट मेमोरी भी कहलाती है। यह एक
वोलाटाइल मेमोरी होती है जो कि पॉवर कटते ही सब उड़ जाता हैं। रैम, मदर बोर्ड पर बने विशेष प्रकार के साकेट में लगायी जाती है। जिसे सिंगिल इन लाइन मेमोरी मॉड्यूल अर्थात् सिम (SIMM) । रैम को दो भागों में कैटेगराइज किया जा सकता है।

1. SRAM (Static RAM) :- इसकी स्पीड बहुत तेज होती है। और यह पीरियाडिकली रिफेस नहीं होता है
2. DRAM (Dynamic RAM) :- एस० रैम की तुलना में इसकी स्पीड कम होती है। और यह एक निश्चित समयान्तारल में रिफ्रेस होती रहती है।
(b) ROM:- यह प्राइमरी मेमोरी का दूसरा महत्वपूर्ण अंग है रोग के निम्नलिखित प्रकार है-

M-ROM- मैनुफैक्चरर प्रोग्राम रीड ओनली मेमोरी
P-ROM- प्रोग्रेमेविल रीड ओनली मेमोरी
EP-ROM- इरेजविल प्रोग्रेमेविल रीड ओनली मेमोरी
EEP-ROM- इलेक्ट्रिकली इरेजविल प्रोग्रेमेविल रीड ओनली मेमोरी

Note :- 
रैम और रोम के अतिरिक्त एक तीसरी प्रकार की मेमोरी CMOS होती है जिसे कम्पीलिमेन्ट्री मेटल आक्साइड सेमी कण्डेक्टर मेमोरी कहते है। इसका उपयोग सिस्टम कनफ्रिगेशन जैसे- सिस्टम डेट एण्ड टाइग दूसरे बायोस (बेसिक इनपुट आउटपुट सिस्टम) सेटिंग में होता है।

(C) Secondary Memory (Secondary Storage) or Auxiliary Memory
सेकेण्डरी स्टोरेज डिवाइस मे डाटा परमानेन्ट होता है। यह प्राइमरी मेमोरी की तुलना मे धीमी होती है। और यह उससे सस्ती भी होती है। फलापी डिस्क, सी0डी0, डी0वी0डी0 पेनड्राइव आदि सेकेण्डरी स्टोरेज के उदाहरण है। सेकण्डरी स्टोरेज दो प्रकर के होते है आप्टिकल डिस्क और मैग्नेटिक डिस्क। फ्लापी डिस्क , मैग्नेटिक टेप, आदि मैग्नेटिक डिवाइस है। फ्लापी डिस्क की क्षमता 1.44 एम0बी0 होती है।

Hard Disks (Hard Drives)
हार्ड डिस्क धातु से बनी डिवाइस है जिस पर मैगनेटिक कोट होता है जिस पर डाटा रिकार्ड होता है। यही मेन स्टोरेज होता है जहा पर डाटा स्टोर होता है। हार्डडिस्क मे प्लाटर होते है जो कि एलयुमिनियम एवं ग्लास सेरमिक के कोट से मैग्नेटिक कोट किया होता है । यह अधिक स्थिर एवं मजबूत होती है। इसकी ट्रैक और बिट डेन्सिटीज, मैग्नेटिक टेप की अपेक्षा काफी अधिक होती है। यह फ्लापी डिस्क की तुलना में अधिक तेजी से अधिक सूचना स्टोर कर सकती है। इसे जीबी, टीबी, पीबी आदि मे मापा जाता है। हार्ड डिस्क ड्राइव इंटरनल एवं एक्सटर्नल दो प्रकार की होती हैं। हार्ड डिस्क ड्राइव में प्लाटर, हेड्स, ट्रैक्स, सेक्टर, क्लस्टर, सिलेण्डर इत्यादि कम्पोनेंट होते हैं।हार्डडिस्क दो टेक्नोलाजी द्वारा डाटा एलोकेट करता है। एक एफ ए टी या फाइल एलोकेशन टेबल द्वारा एवं दुसरी विधी है एन टी एफ एस या न्यु टेक्नोलाजी फाइल सिस्टम द्वारा इसका प्रयोग विन्डो एक्स पी या उसके बाद के वर्जन मे हो रहा है।

Exact Number of bytes

Bit

 

Smallest unit

 

……….

Nibble

 

4bits

 

 

Byte

 

8bits

 

 

Kilobyte

 

210 bytes

 

1024 bytes

Megabyte

 

220 bytes

1024 Kb

Gigabyte

 

230 bytes

1024 Mb

Terabyte

 

240 bytes

1024 Gb

Petabyte

 

250 bytes

1024 Tb

Exabyte

 

260 bytes

1024 Pb

Zettabyte

 

270 bytes

1024 Eb

Yottabyte

 

280 bytes

1024 Zb


Flash Memory:-ये रैम एवं हार्ड डिस्क की तरह कार्य करते हैं परन्तु पॉवर के चले जाने पर सभी डाटा मेमोरी में सेव रहता है। जैसे फोन मे लगी मेमोरी, पेन ड्राइव आदि।

आप्टिकल डिस्क यह डाटा स्टोरेज का एडवांस  टेक्नालॉजी है जिसमें डाटा को लेजर बीम द्वारा रीड और राइट किया जाता है। इसके लिए किसी मूव एक्सस आर्म और रीड राइट हेड की जरुरत नहीं होती क्योंकि लेजर बीम इलेक्ट्रानिकी मूव हो सकती है। डाटा राइट करने के लिए लेजर बीम डिस्क के सर्फेस पर बिट का मार्क बनाकर सूक्ष्म कैविटी बनाता है। डाटा रीड करने के लिए लेजर बीम एरिया को स्कैन करता है। यह निम्न प्रकार के होते हैं: सीडी रोम, डब्लूओआरएम (राइट वन्स रीड मेन्यू एवं-इरेसबिल आप्टिकल डिस्क।

हार्डवेयर एंड सॉफ्टवेयर की परिभाषा
Definition of hardware and software

Concept of Hardware and Software: - कम्प्यूटर सिस्टम तीन प्रकार के इलीमेन्ट  का कम्बीनेशन होता है हार्डवेयर, साफ्टवेयर और यूजर।

Hardware :- भौतिक कम्पोनेन्ट जिसे हम देख सकते है छु सकते है समझ सकते है, इसको हम हार्डवेयर कहते है जैसे कैबीनेट कीबोर्ड, माउस।

Software :- प्रोसेसर को किसी कार्य को करने का के लिये एक सिक्वेंस में दिये गये निर्देश को प्रोग्राम कहते हैं। प्रोग्रामों कि लिस्ट जो किसी कार्य विशेष के कार्य लिये बनायी जाती है। साफटवेयर कहलाती है।

Application Software :- जब कम्प्यूटर सिस्टम ऑन करने पर डेस्क टॉप से पहले बहतु सारे प्रोग्राम को रन करता है वह बूटिंग कहलाता है। बूटिंग के समय यूजर साफटवेयर पर कोई कार्य नही करता है परन्तु जब वह कोई गेम खेलता है या कोई लेटर लिखता है या मूवी देखता है तो इन साफटवेयर पर यूजर सीधा कार्य करता है। यूजर जिन साफटवेयर पर कार्य करता है वह अप्लिकेशन साफटवेयर कहलाता है। अप्लिकेशन साफटवेयर दो प्रकार के होते हैं। एक जनरल परपज, अप्लिकेशन साफटवेयर जैसे- वर्ड एक्सल पावर प्वाइन्ट । दूसरा विशेष उद्देश्य अप्लिकेशन साफटवेयर जैसे- एम0डी0ए0 का प्रयोग सिर्फ टी०डी०एस० के लिये किया जाता है।

System Software :- कुछ प्रोग्राम ऐसे होते है जो कम्प्यूटर या कम्प्यूटर के किसी पार्ट को कन्ट्रोल करते है इस तरह के सॉफ्टवेयर को हम सिस्टम साफ्टवेयर कहते है लाइनेक्स, मैक, विन्डोज और सभी प्रकार के ड्राइवर आदि।

Programming Language :- जैसे-जैसे समय बितता गया कम्प्यूटर की भाषाएं भी बदलती गयी जैसे- मशीन भाषा, असमेम्बली भाषा, और हाई लेबल लैंग्वेज आदि।

Machine Language (प्रथम पीढ़ी की कम्प्यूटर भाषा)- कम्प्यूटर जिस भाषा को समझता है उसे मशीन लैंग्वेज कहते हैं। यह बाइनरी (0.1) डिजीट पर आधारित होती है।

Assembly Language (द्वितीय पीढ़ी भाषा) : मशीन असेम्बेली लैंग्वेज प्रोगाम को डायरेक्टली इक्जीक्यूट नही कर पाता है। क्योकि यह बाइनरी भाषा में नही होता है। असेम्बलर जो एक प्रकार का ट्रांसलेटर होता है। असेम्बली भाषा को आब्जेक्ट कोड़ मे ट्रांसलेटर करके मशीन के लिये इक्जीक्यूटिव बना देता है। यह पोर्टेवल लैंग्वेज नही हैं। अर्थात् एक प्रोसेसर के लिये लिखा गया प्रोग्राम दूसरे प्रोसेसर पर कार्य नहीं करेगा। इसकी स्पीड़ बाइनरी लैंग्वेज की स्पीड से कम होता है।
 
High Level Language (तृतीय पीढ़ी भाषा) :- इसमें पास्कल, कोबोल फोट्रान और बेसिक भाषा आदि हैं यह थर्ड जनरेसन की भाषा है जिसमें डेबलपमेन्ट लैंग्वेज आ चुकी थी। हाई लेवर लैंग्वेज को मशीन सीधा समझ नही सकती थी। अतः इसके लिये एक ट्रांस लेटर जो कि हाई लेवर को लो लेवर में और लो लेवल को हाई लेवल ट्रांसलेट करने के लिये प्रयोग किया गया जिसे कम्पाइलर कहते हैं। यह प्रोग्राम बाई By प्रोग्राम ट्रांसलेट करता है।

Fourth Generation Language (चतुर्थ पीढ़ी की भाषा)- इस प्रकार की भाषा नॉन प्रोसीजलर होती है इस भाषा का प्रयोग हम डाटा बेस बनाने, डाटा बेस मनेजमेन्ट करने में करते है और उसमें हम क्वारी करके अपना उत्तर डाटा बेस से प्राप्त कर लेते है।

Fifth Generation Language (पंचम पीढ़ी की भाषा)- इस तरह की भाषा का प्रयोग हम और भी आसान ढंग से कमाण्ड देने के लिए करते है। इसका प्रयोग ट्रैडीसनल कीबोर्ड या माउस के बजाय वायस द्वारा कमाण्ड देने में करते हैं। इस जनरेशन की लैंग्वेज मुख्यतः आर्टिफिशिल इन्टेलीजेन्सी, रिसर्च आदि में होता है। पंचवी जनरेशन के उदाहरण हैं। PROLOG, OPS5 AND MERCURY

Representation of Data/Information

डिजिटल कम्प्यूटर मे डाटा बाइनरी के रुप मे प्रोसेस होता है एवम् मेमोरी और रजिस्टर में स्टार होता है। डाटा या इन्फार्मेशन को रिप्रजेन्ट करने के लिए नम्बर सिस्टम को समझना जरुरी है। नम्बर सिस्टम मे डाटा का आपस मे कनवर्जन नीचे टेबुल बताया गया है।

Number system:- 
बाइनरी–जिसका बेस (रडिक्स) 2 होता है इसकी डिजिट्स 0 और 1 होती है।
ऑक्टल- जिसका बेस 8 होता है। इसकी डिजिट्स 0,1,2,3,4,5,6,और 7 होती है।
डेसिमल-जिसका बेस 10 होता है इसी का प्रयोग यूजर करता है। इसकी डिजिट्स 0,1,2,3,4,5,6,7,8,और 9 होती है। 
हेक्साडेसिमल-जिसका बेस 16 होता है। इसकी डिजिट 0,12,3,4,5,6,7,8,9, A,B,C,D,E, और F होती है।

Representation of number in various number systems

  Decimal

 (Base 10)

  Binary

 (Base 2)

   Octal

 (Base 8)

    Hexa     Deciamal

 (Base 16)

0

0

0

0

1

1

1

1

2

10

2

2

3

11

3

3

4

100

4

4

5

101

5

5

6

110

6

6

7

111

7

7

8

1000

10

8

9

1001

11

9

10

1010

12

A

11

1011

13

B

12

1100

14

C

13

1101

15

D

14

1110

16

E

15

1111

17

F

 

Concept of Data Processing
'डाटा प्रोसेसिंग वह कार्य है जिसके द्वारा डाटा मैनिपुलेट एवं व्यवस्थित किया जाता है। इसमे यह माने नही रखता कि इसके लिए कौन सी विधि इन्फार्मेशन बनाने के लिए अपनायी गयी है। अतः अन्तः यह कह सकते है कि डाटा प्रोसेसिग वह लक्ष्य है जिससे डाटा इन्फार्मेशन में बदल जाता है।

Applications of IECT इसका उपयोग विभिन्न सेक्टर में किया जा रहा है।

e-governance- सरकारी एवं गैर सरकारी, सरकारी व व्यवसाय या सरकारी एवं सरकारी तंत्रो के बीच सूचाओ के अदान प्रदान का यह एक माध्यम के रुप मे आज प्रयोग किया जा रहा है।

Multimedia and Entertainment- इसका अर्थ होता है एक से अधिक माध्यम को प्रयोग में लाना आज इसका उपयोग विभिन्न क्षेत्रो में किया जा रहा है। विडियो, आडियो, एनिमेशन आदे कई माध्यम है जिनका प्रयोग आज कई क्षेत्रो में जैसे शिक्षा, व्यवसाय आदि जगह पर हो रहा है।

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