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Bharat aur pakistan ke bich kab kab yudh hua


भारत और पाकिस्तान के बीच कब-कब युद्ध हुआ



 

 भारत और पाकिस्तान के बीच हुए युद्धों और संघर्षों का इतिहास जटिल और महत्वपूर्ण रहा है। पाकिस्तान ने स्वतंत्रता प्राप्ति (1947) के बाद कई बार भारत पर हमला किया, लेकिन लगभग हर बार उसे सैन्य और कूटनीतिक रूप से हार का सामना करना पड़ा। इस लेख में हम पाकिस्तान द्वारा भारत पर किए गए प्रमुख हमलों, युद्धों, और संघर्षों की विस्तृत चर्चा करेंगे — ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से लेकर परिणाम तक — और यह भी समझेंगे कि पाकिस्तान को हर बार क्यों हार मिली।

1. 1947-48 का पहला भारत-पाक युद्ध (कश्मीर युद्ध) 

जब 15 अगस्त 1947 को भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ, तो रियासतों को यह विकल्प दिया गया कि वे भारत या पाकिस्तान में शामिल हो सकती हैं या स्वतंत्र रह सकती हैं। जम्मू-कश्मीर, एक मुस्लिम-बहुल क्षेत्र, का शासक हिंदू था — महाराजा हरि सिंह। उन्होंने पहले स्वतंत्र रहने का निर्णय लिया, लेकिन पाकिस्तान इस रियासत को हथियाने की फिराक में था।



हमला और युद्ध

22 अक्टूबर 1947 को पाकिस्तान ने कबायली लड़ाकों (Tribal Raiders) और पाकिस्तानी सेना की मदद से कश्मीर में घुसपैठ शुरू की। इस आक्रमण से घबरा कर महाराजा हरि सिंह ने भारत से मदद मांगी और 26 अक्टूबर को जम्मू-कश्मीर का भारत में विलय कर दिया। भारत ने अपनी सेना भेजी और पाकिस्तान-समर्थित कबीलों को खदेड़ना शुरू किया।

परिणाम

  1. युद्ध जनवरी 1949 तक चला और संयुक्त राष्ट्र की मध्यस्थता से युद्धविराम (Ceasefire) हुआ।
  2. कश्मीर का लगभग 2/3 हिस्सा भारत के पास रहा और 1/3 हिस्सा (आज का PoK - Pakistan Occupied Kashmir) पाकिस्तान के कब्जे में चला गया।
  3. पाकिस्तान अपने मुख्य उद्देश्य — पूरे कश्मीर पर कब्जा — में विफल रहा।

2. 1965 का दूसरा भारत-पाक युद्ध

1965 में पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान को लगा कि भारत, चीन के साथ 1962 की लड़ाई में पराजय के बाद कमजोर है। उन्होंने 'ऑपरेशन जिब्राल्टर' के तहत कश्मीर में घुसपैठ करने और वहां के लोगों को भारत के खिलाफ भड़काने की योजना बनाई।

युद्ध की शुरुआत

अगस्त 1965 में पाकिस्तानी सैनिकों ने कश्मीर में छद्म रूप से घुसपैठ शुरू की, लेकिन भारत को इसकी जानकारी मिल गई और उसने कड़ा जवाब दिया। जल्द ही युद्ध पूरे पंजाब, राजस्थान और कश्मीर में फैल गया।

परिणाम

  1. भारतीय सेना लाहौर के दरवाजे तक पहुंच गई थी और पाकिस्तान की कई चौकियों पर कब्जा कर लिया गया था।
  2. 22 दिन तक चले इस युद्ध में पाकिस्तान को भारी नुकसान हुआ।
  3. युद्ध के बाद ताशकंद समझौता (Tashkent Agreement) हुआ, जिसके अंतर्गत दोनों देशों ने अपने-अपने कब्जे वाले इलाके लौटा दिए।
  4. पाकिस्तान को अपने मूल उद्देश्य — कश्मीर हथियाना — में फिर से विफलता मिली।

3. 1971 का तीसरा भारत-पाक युद्ध (बांग्लादेश मुक्ति युद्ध)

पाकिस्तान के दो हिस्से थे — पश्चिम पाकिस्तान (आज का पाकिस्तान) और पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश)। पूर्वी पाकिस्तान में बंगाली लोगों के साथ भेदभाव होता था। 1970 के चुनाव में शेख मुजीबुर रहमान की पार्टी को जीत मिली, लेकिन सत्ता नहीं सौंपी गई। इसके विरोध में पूर्वी पाकिस्तान में स्वतंत्रता आंदोलन शुरू हो गया, जिसे पाकिस्तानी सेना ने दमनपूर्वक कुचलना शुरू किया।

भारत की भूमिका

  1. 1 करोड़ से ज्यादा शरणार्थी भारत में आ गए।
  2. भारत ने पहले तो कूटनीतिक प्रयास किए, लेकिन जब पाकिस्तान ने 3 दिसंबर 1971 को भारतीय हवाई अड्डों पर हमला कर दिया, तो भारत ने युद्ध की घोषणा कर दी।

युद्ध का परिणाम

  1. भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना को पूर्वी पाकिस्तान में घेर लिया।
  2. मात्र 13 दिनों में 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया — यह विश्व इतिहास का सबसे बड़ा आत्मसमर्पण माना जाता है।
  3. पूर्वी पाकिस्तान स्वतंत्र होकर बांग्लादेश बन गया।
  4. यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी सैन्य और राजनीतिक हार थी।

4. 1999 का करगिल युद्ध

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बीच 'लाहौर घोषणापत्र' से शांति की कोशिशें चल रही थीं। लेकिन पाकिस्तान की सेना, खासकर जनरल परवेज मुशर्रफ ने गुपचुप तरीके से भारतीय क्षेत्र कारगिल में घुसपैठ कर दी।

घुसपैठ और युद्ध

मई 1999 में भारतीय सेना को पता चला कि पाकिस्तानी सैनिक और आतंकवादी भारतीय चौकियों पर कब्जा कर चुके हैं।

ऑपरेशन विजय' के तहत भारतीय सेना ने उन्हें खदेड़ना शुरू किया।

परिणाम

  1. भारतीय सेना ने जून-जुलाई में घुसपैठियों को खदेड़ दिया।
  2. अमेरिका और अन्य वैश्विक ताकतों के दबाव में पाकिस्तान को पीछे हटना पड़ा।
  3. इस युद्ध में भी पाकिस्तान ने सैन्य, कूटनीतिक और नैतिक रूप से हार झेली।


2001 संसद हमला, 2008 मुंबई हमला

5. अन्य संघर्ष और आतंकवाद के जरिये हमला

पाकिस्तान की धरती से चलाए जा रहे आतंकवादी संगठनों ने भारत में कई बड़े हमले किए, जिनमें:

  1. 13 दिसंबर 2001 का संसद हमला — जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकवादियों ने किया।
  2. 26/11 मुंबई हमला (2008) — लश्कर-ए-तैयबा ने हमला किया, जिसमें 170 से अधिक लोग मारे गए।

भारत की प्रतिक्रिया

  1. भारत ने कूटनीतिक और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की नीति अपनाई।
  2. 2016 में उरी हमले के बाद भारत ने सर्जिकल स्ट्राइक की।
  3. 2019 में पुलवामा हमले के बाद भारत ने बालाकोट एयर स्ट्राइक की।

युद्धों की तुलना और पाकिस्तान की पराजय के कारण

युद्ध / संघर्ष                    वर्ष पाकिस्तान का उद्देश्य     परिणाम                    भारत की स्थिति

पहला युद्ध (कश्मीर)     1947-48  कश्मीर पर कब्जा               असफल             2/3 कश्मीर पर नियंत्रण

दूसरा युद्ध                     1965 कश्मीर हथियाना            असफल                 लाहौर तक पहुंच

तीसरा युद्ध                 1971 बांग्लादेश को बचाना           असफल                 बांग्लादेश की स्वतंत्रता

करगिल युद्ध                 1999 कारगिल क्षेत्र पर कब्जा    असफल                 पाक सेना पीछे हटी

आतंकवादी हमले         2001, 2008, 2016, 2019 भारत को अस्थिर करना अंतरराष्ट्रीय आलोचना, जवाबी कार्रवाई कूटनीतिक और सैन्य बढ़त

पाकिस्तान की हार के मुख्य कारण

1. रणनीतिक भूलें: पाकिस्तान ने अक्सर यह मान लिया कि भारत की राजनीतिक या आंतरिक कमजोरी का फायदा उठाया जा सकता है।

2. अस्थिर नेतृत्व और सैन्य हठधर्मिता: पाकिस्तान में सेना का हावी होना, जनरल अयूब, याह्या, मुशर्रफ जैसे सैन्य शासकों की गलत निर्णय प्रक्रिया।

3. अंतरराष्ट्रीय दबाव: भारत ने अक्सर युद्धों में अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल किया।

4. भारत की सैन्य शक्ति और रणनीति: भारत की सेना ने हर बार न केवल घुसपैठ रोकी बल्कि जवाबी हमला कर पाकिस्तान को पीछे धकेला।

निष्कर्ष

पाकिस्तान ने भारत पर कुल मिलाकर चार बार बड़े पैमाने पर युद्ध थोपे और प्रत्येक बार उसे हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, आतंकवाद और छद्म युद्ध के माध्यम से अस्थिरता फैलाने की उसकी कोशिशों को भी भारत ने मजबूती से जवाब दिया। हर युद्ध और संघर्ष में भारत की सैन्य और कूटनीतिक समझदारी पाकिस्तान पर भारी पड़ी।

इतिहास गवाह है कि शांति की कोशिशों को अक्सर पाकिस्तान की तरफ से विश्वासघात मिला, लेकिन भारत ने हमेशा संयम, विवेक और सामरिक दृष्टिकोण से काम लिया।


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