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गॉल्जीकाय किसे कहते हैं || What are golgi bodies called

 इस पोस्ट में हम
गाल्जी समूह तथा इसके रसायन का वर्णन 
गाल्जीकाय के कार्यों का उल्लेख 
गाल्जीकाय एवं लाइसोसोम्स में क्या सम्बन्ध है?
गाल्जीकाय से एक्रोसोम्स का निर्माण कैसे होता है?
गाल्जीकाय के रासायनिक संगठन का वर्णन 
के बारे में जानेंगे-
 



गॉल्जीकाय की संरचना
(Structure of Golgi body)

गाल्जीकाय एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम के पास एक झुण्ड के रूप में पाया जाता है। यह उच्च कोटि के पादपों तथा जन्तुओं में अनेक झिल्लियों के रूप में पायी जाने वाली रचना है। यह झिल्लियाँ एक के ऊपर एक समानान्तर क्रम में व्यवस्थित होती हैं। कैमीलियो गाल्जी ने इसे इसका नाम दिया तथा उन्हीं के नाम पर इस रचना को गाल्जीकाय कहते हैं।

गाल्जीकाय लगभग समस्त यूकैरियोटिक कोशिकाओं में पाया जाता है। इसके अतिरिक्त यह परिपक्व
शुक्राणुओं, लाल रक्त कणिकाओं, कुछ कवकों आदि में भी पाया जाता है।


गाल्जीकाय अनेक यूकैरियोटिक कोशिकाओं में दो रूपों में पाया जाता है।
1. विसरित गाल्जीकाय काम्पलेक्स (Diffused Golgi Complex)
2. लोकलाइन्ड गाल्जी काम्प्लेक्स (Localised Golgi Complex)

1. विसरित गाल्नीकाय काम्पलैक्स (Diffused Golgi Complex) - इस प्रकार का गाल्जी काम्लेक्स अकशेरुकी प्राणियों की कोशिकाओं में तथा निषेचित कशेरुकी कोशिकाओं जैसे तंत्रिका कोशिकाओं तथा यकृत कोशिकाओं आदि में पाया जाता है। इनमें से गाल्जीकाय की डिक्टियोसोम्स इकाई साइटोप्लामिक मैट्रिक्स में एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुल के साथ पायी जाती है। इस प्रकार गाल्जीकाय सम्पूर्ण कोशाद्रव्य में विसरित दशा में फैली हुयी पायी जाती है।

2. लोकलाइज्ड गाल्जी काम्प्लैक्स (Localised Golgi Complex) - इस प्रकार के गाल्नीकाय एक निश्चित स्थान पर एक जगह स्थित होते हैं तथा यह केन्द्रक और स्रावण छिद्र के पास अकेले या समूह में पाये जाते हैं। थायरायड कोशिकाओं, पैन्क्रियाज तथा आंत्रीय म्यूकस कोशिकाओं में इस प्रकार का गाल्जीकाय पाया जाता है। अधिकांश गाल्जीकाय तारककाय के ऊपर या चारों तरफ पायी जाती है।

गाल्जीकाय की बाह्य संरचना
( (Morphology of Golgi Complex)

आकार तथा परिमाण (Shape and Size) - गाल्जीकाय का आकार तथा परिमाण विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं पर निर्भर करता है। एक ही कोशिदा में समय-समय पर इसका आकार परिवर्तित होता रहता है तथा कोशिका की कार्यिकी भी गाल्जीकाय की उत्पत्ति तथा कार्यिकी को प्रभावित करती है। सावण कोशिकाओं, तरुण तथा सक्रिय कोशिकाओं में गाल्जीकाय पूर्ण विकसित होता है तथा जैसे-जैसे कोशिका की वृद्धि होती है इसका आकार क्रमशः बड़ा होता जाता है।

गाल्जीकाय का आकार डिस्करूपी होता है जिसमें चपटी केन्द्रीय पट्टिकारूपी अनेक कोष्टक पाये जाते हैं जिन्हें सिस्टी कहते हैं। सिस्टर्नी परिधीय रूप से आपस में जुड़ी हुई नलिकाएँ हैं जिनमें परिचीय पैलियाँ पाई जाती हैं। इन थैलियों की संख्या एक से अधिक होती है। इसके अतिरिक्त गाल्जियन रिक्तिकाएँ भी पायी जाती हैं।

गाल्जीकाय के मुख्य रूप से तीन प्रकार की रचनाओं से मिलकर बनता है। यह रचनायें निम्न है-
1. सिस्टर्नी (Cisternae or Flattened sacs)
2. बड़ी रिक्तिकाएँ (Large Vacuoles)
3. वेसीकल्स या नलिकाएँ (Vesicles or tubules)

1. सिस्टर्नी (Cisternae) - सिस्टर्नी को चपटी नलिकाकार कोष्ठक (flattened sac) भी कहते हैं। यह चपटी, नलिकाकार, लम्बी छड़ के आकार की संरचनाएँ हैं जो एक-दूसरे के ऊपर समानान्तर क्रम में व्यवस्थित होती हैं तथा आपस में मिलकर एक समूह बनाती हैं। हॉल (Hall) तथा अन्य वैज्ञानिकों के अनुसार इनकी संख्या 4 से 7 तक होती है। निम्न कोटि के जन्तुओं में इनकी संख्या तीस या उससे अधिक भी होती है। सभी सिस्टर्नी हल्की सी मुड़ी हुई (curved) होती है। तथा आपस में मिलकर अवतल तथा उत्तल सतह बनाती हैं। 

प्रत्येक सिस्टनी सामान्य रूप त्रिस्तरीय यूनिट झिल्ली से मिलकर निर्मित होती है सिस्टी के एक समूह में दो सिस्टनी एक दूसरे से इण्टर-सिस्टर्नल रिक्त स्थान के द्वारा पृथक होती है कुछ कोशिकाओं में समानान्तर तन्तुओं का स्तर पाया जाता है। जिसे इण्टर-सिस्टरनल तत्व (Inter-Cisternal elememts) कहते हैं। यह तत्व प्रत्येक इन्टर सिस्टरनल रिक्त स्थान तक फैले होते हैं। हॉल (Hall) 1974 तथा अन्य वैज्ञानिकों के अनुसार यह तत्व दो पृथक लैमिली के बीच नियमित रिक्त स्थान बनाते है। प्रत्येक सिस्टर्ना (Cisterna) की रचना एक केन्द्रीय प्लेट के समान क्षेत्र से होती है। जिसे सैकूल (Sacoule) कहते हैं इसका व्यास 0.5 से 1 माइक्रोन तक होता है। जिसके चारों तरफ परिधीय सहत होती है। इस सतह पर असंख्य नलिकाओं का जाल होता है।



सिस्टर्नी पर कुछ निश्चित ध्रुवता होती है जिसके एक सिरे पर केन्द्रकीय शिद (Nuclear Envelope) या एण्डोप्लामिक रेटीकुलम पाया जाता है।



चित्र : गॉल्जीकार्य में ध्रुवता तथा झिल्ली परिवहन

2. रिक्तिकाएँ (Vacuoles) - यह बड़ी, थैलीनुमा अतिवमित रचनाएँ है। जो सिस्टनी के स्वतन्त्र सिरे पर स्थित होती है। रिक्तिकाएँ फूली हुई रचनाओं के रूप में पायी जाती हैं जिनके बीच में रिक्तिकीय स्थान होता है। क्लोएस तथा जुनीपर (Clowes and Juniper) के अनुसार गाल्जी काम्प्लेक्स में सिस्टर्नी से एक परिधीय क्षेत्र होता है जो नलिकाओं के जाल से निर्मित होता है। इसके अतिरिक्त गाल्जीकाय में अनेक बड़ी रिक्तिकाएँ होती हैं जिनका आकार गोलाकार होता है इन रिक्तिकाओ। कणिकामय पदार्थ भरा होता है जिसे गाल्जियन रिक्तिकाएँ (Golgian Vacuoles) कहते है। गालियन कणिकायें सिस्टर्नी की परिपक्वता सतह (maturing face) के पास पायी जाती है।

3. वेसीकल्स (Vesicles) - यह छोटी-छोटी बूंदों के समान रचनाएँ होती है जिनका आकार छोटा होता है। वेसीकल्स सिस्टर्नी की नलिकाओं से जुड़े रहते हैं तथा इनका निर्माण नलिकाओं के के द्वारा होता है। इस प्रकार कोषों से पृथक होने वाले कणों के द्वारा वेसीकल्स का निर्माण होता जो बाद में सम्पूर्ण हायलोप्लाज्म में फैल जाते हैं।

वेसीकल्स मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं -

1. चिकने वेसीकल्स (Smooth Vesicles) - इन वेसीकल्स का व्यास 20 से 80my तक होता है। इनके अन्दर स्रावित पदार्थ भरा होता है इसलिये इन्हें स्रावण वेसीकल्स (Secretory vesicles) भी कहते हैं। जो सिस्टर्नल नलिकाओं के सिरे पर मुकुलन के परिणामस्वरूप बनते हैं।

2. कोटेड वेसीकल्स (Coated Vesicles) - यह गोलाकार वेसीकल्स है जिनकी सतह खुरदरी होती है तथा इनका व्यास 50mu तक होता है। कोटेड वेसीकल्स किसी अंगक के चारों तरफ परिधीय क्षेत्र में पाये जाते हैं।

सामान्य रूप से कशेरुकी जन्तुओं की सोमैटिक कोशिकाओं में गाल्जीकाय केन्द्रक के पास एक सघन जाल के रूप में पाया जाता है। जबकि जर्म कोशिकाओं में गाल्जीकाय छड़ों या कणिकाओं के रूप में पाया जाता है।

3.गाल्जी सिस्टर्नी में ध्रुवता (Polarity in colgi cisternae) - गाल्जीकाय में सिस्टर्नी का समूह ध्रुवीकृत रचनाओं को प्रदर्शित करता है। जिसमें प्राक्सिमल फार्मिंग सतह पायी जाती है जो केन्द्रकीय झिल्ली तथा एण्डोप्लामिक रेटीकुलम के पास स्थित होती है। जबकि स्वतन्त्र परिपक्व सतह प्लाज्मा झिल्ली की तरफ होती है। फार्मिग सतह पर संक्रामी वेसीकल्स पाये जाते हैं जबकि मेटुरिंग सतह पर गर्ल (Gerl) पाया जाता है। यह विशेष प्रकार का क्षेत्र है जो गाल्जीकाय तथा प्लाज्मा झिल्ली के बीच में पाया जाता है। इस क्षेत्र पर स्रावण वेसीकल्स जाइमोजेन कणिकाओं में परिवर्तित हो जाते हैं। डिक्टियोसोम्स के ध्रुवीकरण में गाल्जीकाय की क्रिया सान्द्र तत्वों के द्वारा होती है जिसमें ER का संश्लेषण होता है। इस क्रिया में कोशिका के सावित पदार्थ या तो कोशिका के बाहर विसर्जित हो जाते हैं या लाइसोसोम्स में संचित रहते हैं। सम्पूर्ण क्रिया को जीव रासायनिक अभिरंजन क्रिया के द्वारा देखा जा सकता है। जब इसका अभिरंजन ग्लाइकोजन या ग्लाइकोप्रोटीन्स (मेथेनमाइन अम्ल) के द्वारा किया जाता है तो प्लाज्मा झिल्ली के द्वारा परिवहन तथा ध्रुवता का प्रदर्शन होता है तथा गाल्जी झिल्ली में मिल्ली की मोटाई में विभिन्नता प्रदर्शित होती है जिसके परिणामस्वरूप स्मूथ EPR तथा गाल्जी झिल्ली की मोटाई बढ़ जाती है। इसके अतिरिक्त प्लाज्मा झिल्ली में भी संक्रामी ध्रुवीकरण भी होता है जो EPR -> गाल्जीकाय -----> तथा प्लाज्मा झिल्ली की तरफ होता है।

रासायनिक संगठन
(Chemical Composition)

गाल्जी झिल्ली की रचना निम्न रासायनिक तत्वों से मिलकर होती है।

1. फास्फोलिपिड्स (Phospholipids)- गाल्जी झिल्ली की रचना फास्फोलिपिड्स से मिलकर बनती है जो मुख्य रूप से लेसिथिन तथा सिफैलिन के रूप में पायी जाती है। इसके अतिरिक्त प्रोटी भी पाया जाता है अर्थात् इनकी प्रकृति लाइपोप्रोटीन होती है। कैन (Cain) के अनुसार गाल्जीकाय में वसीय अम्ल भी पाया जाता है। वसीय अम्ल लिपाइन (Lipine) के रूप में होता है कुछ वैज्ञानिकों के अनुसार इसमें विटामिन C भी पाया जाता है जो गाल्जीकाय में पाये जाने वाले प्रमुख तत्वों का निर्माण करता है।
2. कार्बोहाइड्रेट्स (Carbohydrates)- पादप तथा जन्तु कोशिकाओं में पायी जाने वाले गाल्मी काय में कार्बोहाइड्रेट भी पाया जाता है तथा यह मैनोज (Mannose) फ्यूकोज (Fucose), ग्लूकोज (Glucose), ग्लैक्टोज (Galactose) तथा ग्लूकोसैराइन (Glucosarine) के रूप में होता है इसके अतिरिक्त कुछ पादप कोशिकाओं में जाइलोज (Xylose) तथा एराबीनोज (Arabinose) भी पाया जाता है। परन्तु सैलिक अम्ल (Salic acid) का अभाव होता है।

3. एन्जाइम (Enzymes) - गाल्जीकाय में अनेक एन्जाइम्स पाये जाते हैं जिनमें से ATP ase, CTP ase, ADP ase, थायमीन पायरोफास्फेटेज (Thiamine Pyrophosphatase), NADH साइटोक्रोम (Cytochrome) C-रिडक्टेज, ANDPH साइटोक्रोम C-रिडक्टेज, UDP-N- ऐसिटिल ग्लूकोसेमाइन ट्रान्सफरेज, ग्लूकोज - 6 फास्फेटेज, ग्लैक्टोसिल ट्रान्सफरेज आदि मुख्य एन्जाइम्स है।


 गाल्जीकाय की उत्पत्ति 
(Origin of Golgi Complex) 

गाल्जीकाय की उत्पत्ति निम्न प्रकार की विधियों के द्वारा होती है

(A) केन्द्रकीय झिल्ली से (From Nuclear membrane) - (Bonch) 1965 के अनुसार गाल्जीकाय की उत्पत्ति बाह्य केन्द्रकीय झिल्ली से होती है। इसमें बाह्य केन्द्रकीय झिल्ली.से वेसीकल्स उभर कर ऊपर आ जाते हैं जहाँ पर यह सिस्टर्नी के साथ संयुग्मित होते हैं। यह संयुग्मन डिक्टियोसोम्स की. पार्मिग सतह पर होता है।

केन्द्रकीय झिल्ली तथा एण्डोप्लाज्मिक रेटीकुलम में एक विशेष क्षेत्र होता है जिसे एक्सक्लजन का
क्षेत्र (Zones of exclusion) कहते हैं।

2. एण्डोजामिक रेटीकुलम EPR से (From Endoplasmic reticulum) - एस्नर (Essner) नायीकाफ (Novikoff) 1962, तथा बीम्स (Beams) तथा कजल (Kessel) ने 1988 में बताया कि एण्डोप्लामिक रेटीकुलम से गाल्जीकाय की उत्पत्ति होती है। जब खुरदरी सतह वाली EPR पर जब विक्षेपित प्रोटीन्स का संश्लेषण हो जाता है और राइबोसोम्स नष्ट हो जाता है जिसके कारण राइयोसोम्स विहीन चिकनी सतह वाली एण्डोप्लामिक रेटीकुलम का निर्माण हो जाता है।

3. पूर्व-एक्जिस्टिंग डिक्टियोसोम्स के विभाजन के द्वारा (By the division of Pre-existing
dictysome) - जन्तु तथा पादप कोशिकाओं के विभाजन के समय ऐसा देखा गया है कि डिक्टियोसोम्म की संख्या बढ़ती जाती है तथा विभाजन के तुरन्त पश्चात प्रत्येक पुत्री कोशिकाओं में डिक्टियोसोम्स की संख्या समान हो जाती हैं तथा विभाजन वाली कोशिकाओं में यह देखा गया है कि कोशा विभाजन के समय डिक्टियोसोम्स भी विभाजित होते हैं जिसके परिणामस्वरूप गाल्जीकाय की उत्पत्ति होती है। 
विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं में गाल्जीकाय के कार्य
(Functions of Golgi body in Various types of cells)

कोशिका के कार्य

1. पेन्क्रियाज की एक्सोक्राइन कोशिकाएँ , (Exocrine cells)
2. आंत्रीय म्यूकोसा की पैनेथ कोशिकाएँ  (Paneth cells)
3. आंत्रीय म्यूकोसा की गोब्लेट कोशिकाएँ (Globlet cells)
4. इयूओडिनम की ब्रूनर ग्रन्थियों की कोशिकाएँ 
5. थायरॉयड ग्रन्थि की फॉलिकिल कोशिकाएँ। 
6. यकृत की हिपैटिक कोशिकाएँ
7. स्तनप्रन्थियों की एल्वियो ग्रन्थियाँ
8. रुधिर की प्लाज्मा कोशिकाएँ
9. पादप कोशिकाएँ


गाल्जीकाय के कार्य

1.जाइमोजेन का स्रावण (पाचक एन्जाइम्स प्रोटीऐस लाइपेज कार्बोहाइड्रेट्स तथा न्यूक्लियेज) आदि 
2.विभिन्न पाचक एन्जाइम्स का स्रावण।
3.प्रोटीन्स (Proteins) का स्रावण।
4.म्यूकस तथा जाइमोजेन एन्जाइम्स का स्रावण।
5.म्यूकोपॉलीसकेराइड्स (Mucopolysacchar- ides) का स्रावण।
6.प्रोथोम्बो ग्लोब्यूलिन हार्मोन्स
7.लाइपेज एन्जाइम्स।
8.दूध व दूध प्रोटीन्स का स्रावण।
9.इम्युनोग्लोब्यूलिन्स का स्रावण।
10.पेक्टिन तथा सेलुलोज आदि का स्रावण ।
    
Conclusion -
इस पोस्ट में हमने गाल्जी समूह तथा इसके रसायन का वर्णन ,गाल्जीकाय के कार्यों का उल्लेख ,गाल्जीकाय एवं लाइसोसोम्स में क्या सम्बन्ध है?,गाल्जीकाय से एक्रोसोम्स का निर्माण कैसे होता है,गाल्जीकाय के रासायनिक संगठन का वर्णन के बारे में जाना

इन्हें भी देखें-


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