Advertisement

Responsive Advertisement

शब्द-विचार || ETYMOLOGY


शब्द(Word) हिन्दी भाषा के अनुसार शब्द-भाषा की स्वतंत्र और अर्थवाद इकाई है। शब्द और अर्थ में नित्य संबंध माना जाता है। शब्द सार्थक होते हैं तथा वस्तु, विचार या भाव को अभिव्यक्त करते हैं। एक ध्वनि या अनेक ध्वनियों के मेल से 'अक्षर' बनते हैं, तो एक या अनेक अक्षरों के समूह से 'शब्द'।
अगर हम बात करें परिभाषा के अनुसार तो -वर्णों के मेल से बना स्वतंत्र सार्थक ध्वनि-समूह जो वाक्य में प्रयुक्त होकर हमारे विचारों को प्रकट करता है, शब्द कहलाता है।

दूसरे शब्दों में हम कहे तो-

निश्चित अर्थ को प्रकट करने वाले वर्ण-समूह को शब्द कहते हैं। या फिर कहे वर्णों के अर्थवान या सार्थक समूह को शब्द कहते हैं। जैसे-मनुष्य, घर, कलम, कमल, भारत आदि।


शब्द का महत्त्व-
शब्द भाषा रूपी ईंटों का कार्य करते हैं। शब्दों से ही वाक्य बनते हैं जो अपने विशिष्ट अर्थ को प्रकट करते हैं।

शब्द और पद में अंतर-स्वतंत्र तथा सार्थक वर्ण-समूह शब्द कहलाता है परंतु जब उसका प्रयोग वाक्य में किया जाता है, तो वह स्वतंत्र न रहकर व्याकरण के नियमों (कारक, वचन, लिंग आदि) में बंध जाता है तथा पद का रूप धारण कर लेता है। जैसे-सीता, गीता, पुस्तक आदि सार्थक शब्द हैं। परंतु वाक्य में प्रयुक्त होकर ये पद का रूप ले लेते हैं। जैसे-सीता ने गीता को पुस्तक दी।

शब्दों का वर्गीकरण-भाषा शब्दों का संसार है, उसमें शब्दों का प्रयोग अनेक रूपों में होता है। उन
सभी को समझना-परखना व्याकरण का विषय है। अतः शब्दों का वर्गीकरण अनेक रूपों से हो सकता है। जो इस प्रकार है-

(1) स्रोत, मूल, उद्गम, उत्पत्ति अथवा इतिहास के आधार पर (Based on Origin)
(2) रचना, बनावट या व्युत्पत्ति के आधार पर (Based on Construction)
(3) अर्थ के आधार पर (Based on Meaning)
(4) वाक्य में प्रयोग के आधार पर (Based on Usage)
(5) व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर (Based on Grammar Usage)

(1) स्रोत के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण-
'स्रोत' शब्द का अर्थ है-मूल या उद्गम स्थान। जिस प्रकार नदी जिस स्थान से निकलती है, वह स्थान
उस का स्त्रोत है। शब्द का मूल रूप क्या है? वह कहाँ से आया है? कभी-कभी शब्द का रूप बदल जाता है और वह बदले रूप में अधिक प्रचलित हो जाता है। किसी भी भाषा का शब्द-भंडार लंबी परंपरा से निर्मित होता। इसके आधार पर शब्द के पाँच भेद हैं-
1) तत्सम (संस्कृत) शब्द
(2) तद्भव शब्द
(3) देशज शब्द
(4) विदेशी शब्द
(5) संकर शब्द।

1. तत्सम शब्द-'तत्सम' शब्द का अर्थ है-उसके समान। संस्कृत भाषा के वे शब्द जो ज्यों के त्यों हिंदी
भाषा में प्रयोग होते हैं, वे तत्सम शब्द कहलाते हैं; जैसे-निद्रा, हस्त, नृत्य, कन्या, रात्रि, वर्ष आदि।

2. तद्भव शब्द-'तद्भव' का अर्थ'उससे उत्पन्न' अथवा 'उससे बना'। संस्कृत के वे शब्द जो बदलकर
हिंदी शब्दावली में प्रयुक्त होने लगते हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं; जैसे-मयूर-मोर, कोकिल-कोयल
सर्प-साँप, शर्करा-शक्कर आदि।

3. देशज शब्द-जिन शब्दों का स्रोत संस्कृत या कोई विदेशी भाषा नहीं है, अपितु ग्रामीण क्षेत्रों या
जनजातियों में ज़रूरत के अनुसार बना लिए गए तथा हिंदी में प्रयोग किए जाने वाले शब्द देशज शब्द कहलाते हैं; जैसे-पगड़ी, लोटा, झाडू, पेट, अक्ल, ठोकर, थूक, चीनी, खाट, झोला, भोंपू, अटकल, ठेठ आदि।

4. आगत (विदेशी) शब्द-आगत शब्द का अर्थ है-आया हुआ। आगत शब्द वे शब्द हैं जो भाषाओं से आए हैं और आज हिंदी में प्रयोग होने लगे हैं। हिंदी में अरबी, फारसी, अंग्रेजी आदि भाषाओं कई शब्द प्रयोग होते हैं; जैसे-

अरबी-अखबार, आईना, इम्तहान, कफ़न, कसाई, खत, गुनाह, जनाज़ा, ताकत, दलील, निकाहया
कीर, मुहावरा, वकील, सलाह, हिरासत, हुक्म आदि।

फारसी के शब्द-आदमी, कमरा, खुशामद, गुलाब, चिलम, जंजीर, तराजू, नमक, ज़हर, पोदीना, पर
रयाद, फौलाद, दिमाग, बदमाश, बीमा, मजदूर, मेज़, रसीद शादी, सरकार, सुरमा आदि।

तुर्की के शब्द- सौगात, कुरता, कैंची, तोप, बारूद, बेगम, उर्दू, कुली, चाकू, बंदूक, चेचक, गला
बहादुर आदि।

अंग्रेजी के शब्द-अपील, कंपनी, कॉलेज, कोट, गाउन, चॉकलेट, जेल, डायरी, नर्स, पाइप, पुलिस, फोटो, बजट, बुशर्ट, बोगी, मोटर, लॉटरी, सूटकेस, स्कूटर, स्टील, स्टेशन, हीटर आदि।

पुर्तगाली के शब्द-कनस्तर, कमरा, गमला, गोदाम, चाबी, तौलिया, नीलाम, फीता, बाल्टी, संतरा,
साबुन आदि।

अन्य भाषाओं के शब्द-मिग, रुबल, स्पुतनिक (रूसी), काजू, कारतूस, अंग्रेज (फ्रांसीसी), चीनी, चाय (चीनी), रिक्शा (जापानी), तुरुप, बम (डच) खोपरा (मलय)।

5.संकर शब्द (Hybrid word)- ऐसे दो भिन्न स्रोतों से आए शब्दों के मेल से बने नए शब्दों को संकर शब्द कहते हैं।
जैसे-
मोटर (अंग्रेज़ी) + गाड़ी (हिंदी)= मोटरगाड़ी
पान (हिंदी) + दान (फ़ारसी) =पानदान
छाया (संस्कृत) + दार (फ़ारसी)= छायादार
टिकट (अंग्रेजी) + घर (देशी)= टिकटघर

(2) रचना के आधार पर शब्द भेद-
रचना के आधार पर शब्द के तीन प्रकार होते हैं-
1. रूढ़ शब्द 
2. यौगिक शब्द
 3. योगरूढ़ शब्द ।

1.रूढ़ शब्द या मूल शब्द "वे शब्द जो किसी शब्द या शब्दांश के योग से न बने हों और अपने
में पूर्ण हों, उन्हें रूढ़ शब्द या मूल शब्द कहते हैं; जैसे-घर, दिन, रात, कलम, नमक आदि।" रूढ़ शब्दों के सार्थक खंड नहीं हो सकते हैं। इनके खंड करने पर अर्थ नष्ट हो जाता है।

2. यौगिक शब्द-यौगिक शब्द का अर्थ है-मेल से बना हुआ। जो शब्द किसी रूढ़ शब्द तथा उपसर्ग
या प्रत्यय के मेल से बनते हैं, उन्हें यौगिक शब्द कहते हैं।
                                        अथवा
दो शब्दों या शब्दांशों के योग से बने शब्द यौगिक शब्द कहलाते हैं; 
जैसे-
स्नान (शब्द) + घर (शब्द)=स्नानघर
अनु (शब्दांश) + शासन (शब्द) =अनुशासन
चतुर (शब्द) + आई (शब्दांश) =चतुराई

3.योगरूड़ शब्द-जो यौगिक शब्द एक ही अर्थ में रूढ़ हो जाते हैं, उन्हें योगरूढ़ शब्द कहते हैं;
जैसे-पंकज, चारपाई। 'पंक' का अर्थ है कीचड़ और 'ज' का अर्थ है-उत्पन्न या जन्मा। पंकज का अर्थ हुआ कीचड़ में उत्पन्न। किंतु यहाँ पंकज का अर्थ है 'कमल'। इसी प्रकार चारपाई अर्थात जिसके चार पाए हैं। यहाँ चारपाई का अर्थ है-खाट (जिस पर सोया जाता है) न कि गाय या कुरसी। अन्य शब्द हैं-जलज, लंबोदर, पीतांबर, खेचर, एकदंत आदि।

(4) अर्थ के आधार पर शब्द भेद-
शब्द भाषा की लघुतम इकाई है। प्रत्येक शब्द का अपना एक अर्थ होता है, जिसे मुख्यार्थ कहते हैं। अर्थ के आधार पर शब्दों का वर्गीकरण इस प्रकार हैं-
(1) सार्थक शब्द।
(2) निरर्थक शब्द।
(4) अनेकार्थी शब्द।
(5) समरूपी भिन्नार्थक शब्द।
(6) पर्यायवाची या समानार्थी शब्द ।
(7) वाक्यांश के लिए एक शब्द।
(8) विलोमार्थी या विपरीतार्थक शब्द।

(1) सार्थक शब्द-अर्थयुक्त शब्द सार्थक कहलाते हैं; जैसे-दुकान, पकवान, सामान, रोटी।

(2)निरर्थक शब्द-अर्थहीन शब्द निरर्थक शब्द कहलाते हैं; जैसे-वुकान, वामान, वोटी आदि।

(3) एकार्थी शब्द-जिन शब्दों का अर्थ सभी परिस्थितियों में एक समान रहता है, उन्हें एकार्थी या
एकार्थक शब्द कहते हैं। व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ, स्थानों के नाम आदि इसी श्रेणी में आते हैं; जैसे-भारतवर्ष, अलीगढ़ अटल बिहारी वाजपेयी, हिंदी, गंगा आदि। हिंदी के कुछ एकार्थी शब्द इस प्रकार हैं-उत्तम, शस्त्र, पाप, अपयश कलंक, आसक्ति, अर्चना, स्वागत, ऋषि, तंद्रा, निपुण, निधन, पत्नी, मित्र, यातना, बली, सम्राट, इष्ट, आज्ञा आदि

(4)अनेकार्थी शब्द- प्रयोग के अनुसार विभिन्न परिस्थितियों में एक से अधिक अर्थ देने वाले शब्द
,अनेकार्थी शब्द कहलाते हैं; जैसे-
कर के एक से अधिक अर्थ हैं-कार्य की अवस्था,हाथ,किरण,टैक्स,काम
गुरु के एक से अधिक अर्थ हैं-शिक्षक,बड़ा,भारी,अध्यापक,श्रेष्ठ

(5) समरूपी भिन्नार्थक शब्द-जिन शब्दों का उच्चारण लगभग समान और लिखने में हस्व-दीर्घ मात्रा
का थोड़ा बहुत ही अंतर होता हो, परंतु उनका अर्थ, सर्वथा भिन्न हो, वे शब्द समरूपी भिन्नार्थक या भिन्नार्थक शब्द-युग्म कहलाते हैं; जैसे-
 समरूपी शब्द       अर्थ
1.अचल                पहाड़
   अचला               पृथ्वी
2.अचर                 स्थावर
   अचिर                नवीन

(6) पर्यायवाची या समानार्थी शब्द
परिभाषा-जिन शब्दों के अर्थ समान होते हैं, उन्हें पर्यायवाची शब्द कहते हैं। किंतु अर्थ में समानता
होते हुए भी पर्यायवाची शब्द प्रयोग में सर्वथा एक-दूसरे का स्थान नहीं ले सकते। प्रत्येक शब्द का प्रयोग विषय और संदर्भ के अनुसार ही करना उचित होता है; जैसे–पितरों का तर्पण 'जल' से किया जाता है 'पानी' से नही कुछ महत्त्वपूर्ण पर्यायवाची इस प्रकार हैं-
अग्नि-पावक, हुताशन, दहन, अनल।
अश्व-घोड़ा, वाजि, हय, सैंधव।
अँधेरा-अंधकार, तम, तिमिर।

पर्यायवाची शब्दों के अर्थ भेद

शब्द-युग्म-कुछ शब्द समानार्थी अथवा पर्यावाची समझे जाते है और एक दूसरे के स्थान पर उनका प्रयोग कर लिया जाता है किंन्तु  ऐसा करने से उनके अर्थ में अंतर आ जाता है । हिंदी में प्रचलित शब्द-युग्मों की जानकारी इस प्रकार है।
1.अस्त्र-जो औजार फेंक कर चलाया जाता है।
   शस्त्र- जो औजार हाथ में पकड़कर चलाया जाता है।
2.अज्ञ- जिसे कुछ भी ज्ञान हो।
   अनभिज्ञ-जिसे किसी की भी जानकारी न हो
3.अनुभव-व्यवहार या अभ्यास से प्राप्त ज्ञान।
   अनुभूति-चिंतन या मनन से प्राप्त ज्ञान ।
4.अपराध-एक असामाजिक कृत्य
    पाप-निकृष्ट और असभ्य कार्य।

अन्य शाब्द-युग्म- विवेक-ज्ञान, श्रम-परिश्रम, अंशदान-योगदान, विलाप-प्रलाप, स्पर्धा, वेष, सुख-आनंद, संतोष-तृप्ति, कवि-लेखक, तर्क-वितर्क, कथा-वार्ता, लोभ-तृष्णा आदि

(7) अनेक शब्दों के स्थान पर एक शब्द का प्रयोग- भाषा को सौष्ठव एवं प्रभावापूर्ण बनाने के लिए अपनी बात को कम-से-कम शब्दों में कहना ही लाभदायक है। शैली में गंभीरता एवं सूत्र रूप से
कथन की विशेषताओं का समावेश हो जाता है। हिंदी में प्रचलित कुछ शब्दों की सूची इस प्रकार है-
 अनेक शब्द/वाक्यांश                 एक शब्द
1. अपनी इच्छा से सेवा कार्य करने वाला-स्वयंसेवक
2. किसी के पीछे जाने वाला-                अनुगामी
3. ऊपर चढ़ने वाला-                            आरोही

(8) विलोमार्थी शब्द या विपरीतार्थक शब्द-
परिभाषा-किसी शब्द से विपरीत या उल्टा अर्थ देने वाला शब्द उसका विलोम या विपरीतार्थक कहा
जाता है; जैसे–मान का अपमान आदि। कुछ विपरीतार्थी शब्द-युग्म इस प्रकार है-
 शब्द    विलोम शब्द
अंतरंग -   बहिरंग
अल्पज्ञ -   दीर्घायु

(4) प्रयोग के आधार पर-प्रयोग की दृष्टि से शब्द तीन प्रकार के होते हैं-
(क) सामान्य शब्द 
(ख) तकनीकी शब्द 
(ग) अद्धतकनीकी शब्द

(क) सामान्य शब्द-सामान्य शब्दावली का अर्थ है-आम नागरिकों द्वारा प्रयोग किए जाने वाले शब्द।
हिंदी क्षेत्र के निवासियों द्वारा आम जीवन में इन शब्दों का प्रयोग किया जाता है; जैसे-घर, मकान,
दाल-रोटी, कार्यालय आदि।

(ख) तकनीकी शब्द किसी विशेष शिक्षा, ज्ञान, शास्त्र व व्यवसाय से संबंधित विशेष शब्दावली
तकनीकी शब्दावली कहलाती है; जैसे-सीमा-शुल्क, अवर-सचिव, कनिष्ठ-वरिष्ठ आदि।

(ग) अद्धतकनीकी शब्द-इस प्रकार के शब्द तकनीकी होते हुए भी आम आदमी के जीवन में अधिक प्रचलन के कारण सामान्य लोगों द्वारा प्रयुक्त किए जाते हैं; जैसे-साम्यवाद, नाटक, चुनाव, कविता, विधायक आदि।

(5) व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर- व्याकरणिक प्रकार्य के आधार पर शब्द दो प्रकार के होते हैं-
(अ) विकारी शब्द
 (ख) अविकारी शब्द।

(अ) विकारी शब्द-जो शब्द लिंग, वचन और कारक की दृष्टि से परिवर्तित हो जाते हैं, उन्हें विकारी
शब्द कहते हैं; 
जैसे-
लड़का खेल रहा है।
दुबला लड़का आया।
वह जा रहा था।
लड़की खेल रही है। 
दुबली लड़की आई।
वे जा रहे थे
इन वाक्यों में लड़का संज्ञा है। लिंग के कारण लड़का' शब्द लड़की में परिवर्तित हो गया। 'दुबला' शब्द विशेषण है। लिंग बदलने से यह 'दुबली' हो गया। 'वह' सर्वनाम है। बहुवचन में इसका रूप 'वे' होग रहा है और 'आया' शब्द क्रिया है। लिंग और वचन के कारण इनके रूप परिवर्तित होकर 'रही है', 'आई हो गए। संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।

(ख) अविकारी शब्द- ऐसे शब्द जो लिंग, वचन, कारक की दृष्टि से परिवर्तित नहीं होते, उन्हें अविकारी शब्द कहते हैं। क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक शब्द अविकारी है; जैसे भरपेट (क्रिया-विशेषण), साथ (संबंधबोधक), परंतु (समुच्चयबोधक), वाह! (विस्मयादिबोधक) आदि







































Post a Comment

0 Comments

Search This Blog