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बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ || Bahu uddeshyeey pariyojanaen

इस पोस्ट में हम- बहु-उद्देशीय (बहुध्येयी) परियोजनाएँ,नदी-घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्य,बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के महत्त्व (लाभ),भारत की प्रमुख बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ के बारे में जानेंगे

 बहु-उद्देशीय (बहुध्येयी) परियोजनाएँ

Multipurpose projects

बहुउद्देश्यीय नदी-घाटी परियोजनाएं वे हैं जो एक ही समय में कई उद्देश्यों की पूर्ति करती हैं। इन योजनाओं को बहुआयामी योजनाएँ भी कहा जाता है। अपने विभिन्न लाभों और देश के आधुनिक विकास में योगदान के कारण इन्हें 'आधुनिक भारत का मंदिर' कहा जाता है। देश के सर्वांगीण आर्थिक विकास और क्षेत्रीय नियोजन के लिए बहुउद्देश्यीय या बहुआयामी योजनाओं को लागू किया गया है। ये योजनाएँ ऐसी योजनाओं को संदर्भित करती हैं जिनका उद्देश्य एक से अधिक समस्याओं का समाधान करना होता है। इसलिए इन्हें बहुआयामी योजनाएँ कहा जाता है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद देश में खाद्य और औद्योगिक उत्पादन में क्रांतिकारी परिवर्तन के लिए ये योजनाएं शुरू की गईं। इन योजनाओं को संयुक्त राज्य अमेरिका की टेनेसी नदी-घाटी योजना के आधार पर डिजाइन किया गया है।

भारत में मुख्यतः दो प्रकार की बहुउद्देश्यीय नदी-घाटी परियोजनाएँ हैं-

(1) सिंचाई परियोजनाओं और
(2) हाइड्रो-इलेक्ट्रिक परियोजनाएं।
सिंचाई परियोजनाओं को तीन भागों में विभाजित किया जाता है- जिन परियोजनाओं के अन्तर्गत 10,000 हेक्टेयर से अधिक कृषि-योग्य क्षेत्र में सिंचाई होती है, उन्हें बड़ी परियोजनाएँ कहते हैं। (ii) मँझली परियोजनाओं में 2,000-10,000 हेक्टेयर तक कृषि-योग्य भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है। (iii) लघु परियोजनाओं के अन्तर्गत भूमिगत एवं सतही जल सम्बन्धी वे सभी परियोजनाएँ आती हैं, जिनमें 2,000 हेक्टेयर तक कृषि-योग्य क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है।

उद्देश्य-
(1) जल-विद्युत शक्ति का उत्पादन करना।
(2) बाढ़ों पर नियन्त्रण करना। 
(3) सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण एवं विकास।
(4) मत्स्य-पालन करना। 
(5) भू-क्षरण पर प्रभावी नियन्त्रण करना। 
(6) उद्योग-धन्धों का विकास करना।
(7) आन्तरिक जल-परिवहन का विकास करना।
(8) दलदली भूमियों को सुखाना।
(9) शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करना।
(10) प्राकृतिक सौन्दर्य तथा मनोरंजन व पर्यटन स्थलों का विकास करना।
(11) क्षेत्रीय नियोजन तथा उपलब्ध संसाधनों का
पूर्ण और समुचित उपयोग करना।
(12) पशुओं को पालने लिए - हरे चारे की व्यवस्था करना। 

बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के महत्त्व (लाभ) 
बहुउद्देश्यीय योजनाओं के तहत देश की सर्वांगीण प्रगति और विकास में उपयोगी होने के कारण सभी प्रमुख और महत्वपूर्ण नदियों पर बांध बनाए गए हैं और पानी का उपयोग एक साथ कई उद्देश्यों को पूरा करने के लिए किया जा रहा है।

इन परियोजनाओं से जो लाभ उठाये जा रहे हैं उनका विवरण निम्नलिखित है-

(1) सिंचाई-इसके पीछे जलाशय में नदियों पर बांध बनाकर पानी जमा किया जाता है। यह शुष्क मौसम में सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराता है। नदियों के जल से पनबिजली पैदा करने के बाद उसी पानी से नहरें निकालकर सिंचाई की जा सकती है, क्योंकि इस पानी के भौतिक और रासायनिक गुणों में कोई अंतर नहीं होता है। सिंचाई सुविधाओं के विकास और विस्तार के साथ, कृषि योग्य क्षेत्र और भूमि की उत्पादकता में वृद्धि हुई है। एकल-फसली क्षेत्र बहु-फसली क्षेत्रों में परिवर्तित हो गए हैं।

(2) बाढ़ नियंत्रण - इन परियोजनाओं ने विनाशकारी बाढ़ के लिए कुख्यात नदियों पर बांध बनाकर बाढ़ नियंत्रण को संभव बनाया है। अब दामोदर और कोसी नदियां 'शोक की नदियां' नहीं रह गई हैं, बल्कि आर्थिक विकास के लिए वरदान बन गई हैं।

(3) जल-विद्युत उत्पादन- नदियों पर बांध बनाने से उनका पानी ऊंचाई से गिराया जाता है और बड़े टर्बाइनों की मदद से जलविद्युत का उत्पादन किया जाता है। जलविद्युत जीवाश्म ईंधन से उत्पन्न तापीय ऊर्जा का अपेक्षाकृत गैर-प्रदूषणकारी, स्वच्छ और टिकाऊ स्रोत है।

(4) वन-रोपण-नदी-घाटी में वृक्षारोपण किया जाता है। इससे पारिस्थितिक संतुलन बना रहता है। वन भूमि में वन्यजीवों को मिलता है सुरक्षित आश्रय। वन क्षेत्रों में उगाई जाने वाली हरी घास पशुपालन को प्रोत्साहित करती है।

(5) नौकारोहण-बांध से खींची गई नहरें नौवहन सुविधाएं प्रदान करती हैं, जो परिवहन और भारी परिवहन का सबसे सस्ता साधन हैं।

(6) मत्स्यपालन-जलाशयों तथा नहरों में मछलियाँ पाली जाती हैं, उनके बीज तैयार किये जाते हैं और उनकी बिक्री से आर्थिक लाभ कमाया जाता है। मछलियों के उपभोग से भोजन में प्रोटीन की पर्याप्त आपूर्ति हो जाती है।

(7) मृदा संरक्षण- मृदा अपरदन को नियंत्रित कर उसका संरक्षण संभव है।

(8) पर्यटन और मनोरंजन-ये परियोजनाएं पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र हैं; क्योंकि खाली भूमि पर सुन्दर उद्यान, उद्यान आदि विकसित किये जाते हैं, जो इसकी प्राकृतिक सुन्दरता को बढ़ाते हैं

(9) उद्योगों का विकास - उद्योगों का विकास सस्ती ऊर्जा-शक्ति की उपलब्धता पर निर्भर करता है। बहुउद्देश्यीय परियोजनाओं के विकास से उद्योगों को सस्ती जलविद्युत शक्ति के साथ स्वच्छ जल भी उपलब्ध हो जाता है।

जब एक बहुउद्देश्यीय परियोजना की स्थापना की जाती है तब उसके कुछ मुख्य उद्देश्य होते है जैसे सिंचाई, जल विद्युत  उत्पादन, बाढ़ पर नियंत्रण करना तथा कुछ और लाभ भी प्रदान करती है तो उसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले पूरे क्षेत्र का समग्र विकास होता है। उदाहरण के लिए- दामोदर घाटी परियोजना झारखंड और पश्चिम बंगाल राज्यों में सिंचाई, जल-विद्युत, बाढ़ नियंत्रण, मत्स्य पालन, मिट्टी-संरक्षण, वनीकरण, नौका विहार आदि के लाभ प्रदान करती है। जलविद्युत के उत्पादन से उद्योगों को भी लाभ होता है। औद्योगिक विकास से पूरे क्षेत्र का बढ़ता शहरीकरण और आर्थिक विकास होता है। विकास होता है। दामोदर घाटी परियोजना के कारण पूरा दामोदर घाटी क्षेत्र देश का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र बन गया है। देश में स्थापित अन्य परियोजनाओं के कारण भी देश के विभिन्न क्षेत्रों का आर्थिक विकास संभव हुआ है।

भारत की प्रमुख बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ

क्रम

परियोजना

 

नदी

 

राज्य

 

1

भाखड़ा-नांगल

 

सतलुज

 

पंजाबहरियाणाहिमाचल प्रदेश

 

 

2

दामोदर घाटी

 

 

दामोदर

 

पश्चिम बंगालझारखण्ड

 

3

 हीराकुड

 

महानदी

 

उड़ीसा

 

4

कोसी

 

कोसी

 

बिहार

 

 

5

रिहन्द

रिहन्द

 

उत्तर प्रदेश

 

6

चम्बल

चम्बल

मध्य प्रदेशराजस्थान

 

7

तुंगभद्रा

 

तुंगभद्रा

 

आन्ध्र प्रदेश

 

8

व्यास

 

व्यास

 

पंजाबहरियाणाराजस्थान

 

9

माही

 

माही

 

गुजरात

 

10

नर्मदा घाटी

 

नर्मदा

 

मध्य प्रदेशगुजरात

 

11

मयूराक्षी

 

मयूराक्षी

 

पश्चिम बंगाल

 

12

मचकुण्ड

 

मचकुण्ड

 

आन्ध्र प्रदेशउड़ीसा

 

13

गण्डक

 

गण्डक

 

बिहारउत्तर प्रदेश

14

नागार्जुन सागर

 

कृष्णा

 

 

आन्ध्र प्रदेश

15

पायकारा

 

पायकारा

 

तमिलनाडु

 

16

कोयना

 

कृष्णा

 

महाराष्ट्र

 

17

काकरापाड़ा

 

ताप्ती

 

गुजरात

 

18

मैटूर

 

कावेरी

 

कर्नाटक

 

19

शिवसमुद्रम्

 

कावेरी

 

कर्नाटक

 

20

पापानासम्

 

ताम्रपर्णी

 

तमिलनाडु

 

21

कुण्डा

 

-------

तमिलनाडु

 

22

शबरीगिरि

 

 

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केरल

 

23

उकई

 

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गुजरात

 

24

बालिमेला

 

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उड़ीसा

 

25

चुक्खा

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भूटान (देश) 



Conclusion-इस पोस्ट में हम- बहु-उद्देशीय (बहुध्येयी) परियोजनाएँ,नदी-घाटी परियोजनाओं के प्रमुख उद्देश्य,बहु-उद्देशीय परियोजनाओं के महत्त्व (लाभ),भारत की प्रमुख बहु-उद्देशीय परियोजनाएँ के बारे में जाना  इस के next post में हम कुछ और मुख्य परियोजानाओं के बारे मे जानेंगे


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