इस पोस्ट में हम राइबोन्यूक्लिक एसिड (आ.एन.ए), tRNA का संश्लेषण तथा कार्य,संदेशवाहक RAN का विवरण आदि के बारे जानेंगे
RNA
(आर.एन.ए.)
RNA मुख्य रूप से कोशिका द्रव्य तथा केन्द्रक में मिलता है। कोशिका द्रव्य में यह मुक्त का भी मिलता है और Ribosome के अन्दर भी। RNA माइटोकान्ड्रिया, हरित लवण था यूकरियोटिक कोशिकाओं में भी पाया जाता है। कुछ पादप वाइरसों में वह आनुवंशिक पदार्थ का कार्य करता है। RNA तीन सह-इकाइयों का एक बहुलक है अर्थात् राइबोस शर्करा, फास्फेट समूह व चार Nitrogen क्षार - ऐडेनीन, ग्वानीन, साइटोसिन व यूरेसिल जो थायमीन के स्थान पर होता है, उन सभी जीवों में जिनमें DNA आनुवंशिक पदार्थ होता है RNA भिन्न प्रकार के होते हैं। कोशिका के तीन प्रकार के RNA होत हैं।
(1) राइबोसोमल RNA
(Ribosomal RNA)
यह Rhibosomes का मुख्य घटक है एवं कोशिका के पूर्ण RNA का 80% भाग बनाता है। इसका जीवात् जनन (Biogenesis) केन्द्रक में होता है। यह स्थिर (Stable) होता है।
यूकैरियोटिक कोशिकाओं में RNA, 285, 185, 5s के रूप में तथा प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं में 23S तथा 16S के रूप में होता है। 28S राइबोसोम RNA, राइबोसोम की 60S सबयूनिट में होता है तथा इसका आणविक भार 18 x 10^6 डाल्टन होता है। 18S RNA,405 सबयूनिट में मिलता है एवं इसका आण्विक भार 0.8 x 10^6 डाल्टन होता है। TRNA का लगभग 60% भाग कुण्डलित होता
है, लेकिन इनका विन्यास DNA से भिन्न होता है। 5S RNA में प्रायः 12 Nucleotide होते हैं तथा यह राइबोसोम की 605 यूनिट में पाया जाता है। प्रोकैरियोटिक कोशिकाओं के 23S RNA, 50S सब यूनिट में पाये जाते हैं एवं इनका आण्विक
भार 0.6 x 10^6 डाल्टन होता है।
Ribosomal RNA (rRNA) का संश्लेषण केन्द्रक में होता है तथा Nucleolus से सम्बद्ध DNA, rRNA के कोशीकरण के लिए उत्तरदायी होता है। केन्द्रिक का यह भाग केन्द्रिकी अथवा न्यूक्लिओलर संगठन (Nucleolar organiser) कहलाता है। उच्च श्रेणी के जीनों में 200-2000 rRNA सिस्टोन rRNA संश्लेषण में भाग लेते हैं। rRNA की परिशुद्धि कार्य अज्ञात है। किन्तु कुछ आधुनिकतम खोजों से ज्ञात होता है कि rRNA का कोई एक सबयूनिट RNA से mRNA को मुक्त करने का कार्य करता है।
(2) संदेशवाहक RNA
(Messenger RNA - mRNA)
संदेशवाहक RNA को केन्द्रीय RNA (Nuclear RNA) भी कहते हैं। यह कोशिका के कुल RNA का 10% भाग बनाता है। इसका जीवनकाल अल्प होता है तथा RNA में एक स्टैण्ड को टेम्पलेट (Template) बनाकर DNA Polymerose इन्जाइम की उपस्थिति में mRNA का निर्माण होता है, जो DNA से आनुवंशिक निर्देश प्राप्त करके जीवद्रव्य में राइबोसोम तक पहुँचता है। इसी कारण जैकब तथा मोनोड (Jacob & Monod) ने सन् 1951 में इसे Messenger RNA की संज्ञा दी।
mRNA में DNA के थायमीन के स्थान पर यूरेसिल (Uracll) होता है। यह Protein के संश्लेषण के विभिन्न अमीनो अम्ल (Amino Acid) के परस्पर संयोजन के लिए टेम्पलेट का कार्य करता है| mRNA का अणु अत्यन्त विषमांगी (Heterogenous) होता है, क्योंकि इनके अणुओं के आकार एवं आण्विक भार में विभिन्नता होती है। सिस्ट्रान (Cistrons) की संख्या के आधार पर ये दो प्रकार के होते है।
(i) मोनोसिस्ट्रोनिक mRNA (Monocistronic mRNA)
इनके केवल एक सिस्ट्रान के कोडोन होते हैं। यह प्रोटीन के केवल एक अणु का संश्लेषण करता के होते है
(ii) पालीसिस्ट्रोनिक mRNA (Polycistronic mRNA)
इसमें एक से अधिक के कोडोन होते हैं। यहाँ पर एक से अधिक Proteins की श्रृंखलाओं का संश्लेषण होता है। संदेशवाहक RNA का जीवात्जनन (Biogenesis of mRNA) mRNA का संश्लेषण DNA के दोनों स्ट्रैण्डों में से किसी एक पर हो सकता है। यह क्रिया 5 सिरे से 3 सिरे की ओर होती है। संरचनात्मक जीन (Structural genes) या DNA सिस्ट्रान के प्रारम्भिक स्थल को उत्प्रेरित करता है। DNA से mRNA संश्लेषण क्रिया को अनुलेखन (Transcription) कहते है।यूकैरियोटिक कोशिकाओं में MRNA केन्द्रक में विषमांगी केन्द्रकीय RNA (Heterogenous Nuclear RNA - Hn -RNA) के रूप में संश्लेषित होता है। Hn mRNA, RNA के 3 सिरे पर पाली एडिनाइलिक अम्ल PolyA (Poly Adenylic Acid) के 200 अणुओं की श्रृंखला जुड़ जाती है। इसके माद 5' सिरे पर Hn RNA विघटित होने लगता है जिसके फलस्वरूप Poly A(+) mRNA मुक्त होता है। PolyA (+) mRNA अब कोशिका द्रव्य में आ जाते हैं। MRNA के 5'सिरे पर 7-Methye guanosine स्थित होता है।
(3) स्थानान्तरित या ट्रान्सफर
RNA (Transfer RNA + RNA)
ट्रान्सफर RNA को विलेय RNA भी कहते हैं। यह भी कोशिकीय RNA का लगभग 10% भाग बनाता है। इसका आण्विक भार mRNA से कम होता है तथा mRNA की भाँति ही यह भी केन्द्रक में उत्पन्न होता है तथा बाद में काशिका द्रव्य में भेज दिया जाता है। +RNA आनुवंशिक कूट (Genetic Code) व्याख्या करने का कार्य करते हैं। वास्तव में DNA के संदेश को जो प्रकूटों (Codons) के रूप में अभिव्यक्त होते । +RNA पढ़ता है। Codon जिन Amino Acids को विशिष्टित (Specify) करता है उसे पहचानने का कार्य तथा विशिष्ट अमीनो अम्ल को ग्रहण करके पॉलीपेप्टाइड श्रृंशला बनाने में +RNA मदद करता है। कोशिका में लगभग 60 विचित्र प्रकार के IRNA अणु होते हैं। ये एकल स्ट्रैण्ड (Single Strand) के बने होते हैं। परन्तु कहीं-कहीं पूरक युग्मन के कारण मुड़कर स्वयं के ऊपर वलित हो जाता है और इसका स्वरूप क्लोवर पर्ण प्रतिरूप (Clover Leaf Model) कहलाता है। अत्यधिक कुण्डलित होने के कारण यह 5' सिरे से शुरू होकर 3' सिरे पर समाप्त होता है। इसके 5 सिरे पर ग्यानीन (guanine) स्थित होता है तथा अन्त में 3' सिरे पर हमेशा साइटोसिन - साइटोसीन - एडिनीन (CCA) का अनुक्रम होता है। +RNA अणु DNA के विशिष्ट क्षेत्रों पर संश्लेषित होते हैं। प्रारम्भ में प्रत्येक RNA अणु DNA में स्थित अपने विशिष्ट सिस्ट्रान (Cistron) के संगठन एवं अनुक्रम में पूरकता प्रदर्शित करता है| DNA से पूर्ण +RNA अणु के अनुलेखन के पश्चात् कुछ विशिष्ट बिन्दुओं पर Nitrogen क्षार इन्जाइम प्रक्रिया के द्वारा परिवर्तित हो जाते हैं।
जीवाणु में लगभग 40-80 जीन तथा Drosophila में 55 जीन +RNA संश्लेषण में भाग लेते है। E-Coli मे ये गुणसूत्र पर फैले रहते हैं। Protein Synthesis में +RNA की महत्वपूर्ण भूमिका
होती है।
कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न-
प्रश्न 1. RNA कौन सा आनुवंशिक कार्य DNA की तरह पूरा करता है?
उत्तर- प्रसिद्ध वैज्ञानिक एच. फ्रेन्कैल कानरेट (H. Fraenkal-Conret) तथा स्टेनले (Stanley) तम्बाकू मौजेन विषाणु (T.M.V.) का अध्ययन करके यह सिद्ध किया कि R.N.A. भी कभी-कभी DNA की तरह आनुवंशिक पदार्थ का कार्य करता है। इन वैज्ञानिकों ने तम्बाकू विषाणु से संक्रमित पत्तियों से TMV के कणों को एकत्रित करके उनसे 1Protein तथा RNA को अलग किया।
RNA एवं Protein का अलग-अलग परीक्षण करने से यह ज्ञात हुआ कि तम्बाकू के पौधे पर DNA द्वारा ही संक्रमण होता है। संक्रमण के समय इसका प्रोटीन भाग तो पोषण कोशिका के बाहर ही रह जाता है, जबकि RNA प्लाज्मोडेस्माता में से होकर एक कोशिका से दूसरी कोशिका में पहुँचता है। इसका R.N.A. पोषण कोशिका में पहुँचने के बाद उसकी उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित कर लेता
है और अपने RNA का अनुलिपिकरण करता है। RNA के आनुवंशिक पदार्थ के रूप में दूसरा प्रमाण संकर विषाणु (Hybrid virus) के निर्माण के अध्ययन से प्राप्त होता है। संकर विषाणु के RNA तथा दूसरे विषाणु के प्रोटीन को मिश्रित करके विकसित किया जाता है तथा इस प्रकार बने संकर विषाणु में RNA अपनी सक्रियता प्रदर्शित करता है।
एक अन्य प्रयोग दो विषाणुओं TMV तथा होम्स रिब-ग्रास विषाणु (HRV) पर किया गया। इन विषाणुओं की प्रोटीन एक-दूसरे से अमीनो अम्लों के क्रम तथा आवृत्ति में भिन्न होती है। इन विषाणुओं द्वारा उत्पन्न रोगों के लक्षण भी भिन्न होते हैं। तम्बाकू की एक विशेष प्रजाति की पत्तियों पर TMV माटलिंग (Mottling) उत्पन्न करता है, जबकि HRV छल्ला के आकार के लवण उत्पन्न करता है। एक स्ट्रेन के RNA तथा दूसरे स्ट्रेन की Protein को लेकर व्युत्क्रम काइमेरास (Chimeras) प्राप्त किया गया। यह पाया गया कि जब इन काइमेरास को संक्रमण के लिए प्रयोग किया, तो संतति में जो Protein पाया गया, वह उस विषाणु के समान था, जिससे RNA के संक्रमणकारी विषाणु तत्वों को व्युत्पन्न किया गया था। इससे यह सिद्ध होता है कि विषाणु Protein की विशिष्टता केवल RNA द्वारा निर्धारित की जाती है तथा Protein कोई सूचना नहीं ले जाती है।
प्रश्न 2. क्या RNA का एक स्टैण्ड दूसरा स्टैण्ड संश्लेषित कर सकता है?
उत्तर-आनुवंशिक RNA का द्विगुणन (Replication of Genetic RNA)
कुछ सूक्ष्म जीव जैसे विषाणुओं में RNA आनुवंशिक पदार्थ के रूप में कार्य करता है। इनमें पाया जाने वाला RNA द्विगुणन की क्रिया द्वारा दूसरा स्ट्रैण्ड संश्लेषित कर सकता है। अतः इन विषाणुओं में पाये जाने वाले RNA में स्वद्विगुणन की क्षमता होती है। द्विगुणन की यह प्रक्रिया RNA डिपेन्डेन्ट RNA सिन्थेसिस कहलाती है। आनुवंशिक शोधों के आधार पर निम्न तथ्यों का पता लगाया गया है।
(1) विषाणु का RNA प्रत्यक्ष रूप से mRNA की तरह कार्य करता है, जो पोषक (Host) के राइबोसोमल तंत्र से जुड़कर RNA पालीमरेज इन्जाइम तथा आवरण Protein दोनों का संश्लेषण करता है।
(2) Virus, RNA, पूरक RNA श्रृंखला के संश्लेषण में साँचे का कार्य करता है। इस प्रकार RNA (template RNA) दोनों RNA की दोहरी श्रृंखला बनती है।
प्रश्न 3. DNA तथा RNA की संरचना तथा कार्यो में अन्तर
आर.एन.ए
(RNA)
1.आर.एन.ए मुख्य रुप से कोशाद्रव्य में पाया जाता है। उसके अतिरिक्त यह केन्द्रिका और न्यूक्लिओप्लाज्म में भी पाया जाता है।
2.RNA केवल एक ही स्ट्रैण्ड के द्वारा निर्मित होता है। कभी-कभी यह स्ट्रैण्ड हाइड्रोजन बाण्ड की सहायता से स्वयं के ऊपर ही कुण्डलित रहता है।
3.RNA में राइबोस शर्करा होती है।
4.DNA के समान होता है।
5.निम्नलिखित नाइट्रोजन युक्त बेस होते हैं -
(A) प्यूरीन बेस
(a) एडीनीन (Adnine)
(b) ग्वानीन (Guanine)
(B) पिरीमिडीन बेस
(a) साइटोसिन (Cytosine)
(b) यूरेसिल (Uracil)
6.अणुओं के चार न्यूक्लियोटाइड प्रयुक्त होते हैं।
(a) एडिनोसिन मोनोफास्फेट
(b) ग्वानोसीन मोनोफास्फेट
(c) साइटोसीन मोनोफास्फेट
(d) यूरीडीन मोनोफास्फेट
7.प्यूरीन्स तथा पिरीमिडीन की मात्रा समान होना आवश्यक नहीं है।
8.अणु में असंख्य राइबोटाइड्स के द्वारा निर्मित एक लम्बा सा सूत्र होता है तथा इनमें राइबोटाइड्स
की संख्या कम होती है। (12,000) तक यह अनुवंशिक सूचना वाहक है जो प्रोटीन्स के संश्लेषण में विशेष रूप से सहायक होता है।
RNA में इस प्रकार का कोई भी क्षार संगठन नहीं होता है।
1.डी.एन.ए केन्द्रक के गुण सूत्रो में पाया जाता है तथा मुख्य रूप से केन्द्रक द्रव्य माइटोकॉन्ड्रिया
तथा क्लोरोप्लास्ट में पाया जाता है।
2. यह सर्पिल रूप से कुण्डलित दो कुण्डलिनियों के द्वारा निर्मित होता है दोनों ही स्ट्रैण्ड विपरीत
दिशा में एक-दूसरे के चारों ओर कुण्डलित रहते हैं।
3. DNA में डी-आक्सीराइबोस (De oxyribose) शर्करा होती है।
4. DNA के अणु में फास्फोरिक अम्ल होता है जो शर्करा के एक अणु को दूसरे से जोड़ता है।
5. निम्नलिखित नाइट्रोजन युक्त बेस होते हैं -
(A) प्यूरीन्स थार
(a) एडीनीन (Adnine)
(b) ग्वानीन (Guanine)
(B) पिरीमिडीन
(a) थाइमीन (Thimine)
(b) साइटोसीन (Cyttosine)
6. अणुओं के चार न्यूक्लियोटाइड्स निम्न प्रकार होते हैं -
(a) डी आक्सीऐडिनोसिन मोनोफास्फेट
(b) डी आक्सीग्वानोसिन मोनोफास्फेट
(c) डी आक्सीसाइटोसिन मोनोफास्फेट
(d) डी आक्सी थाइमिडीन मोनोफास्फेट
7. डी.एन.ए. में प्यूरीन्स तथा पिरीमिडीन क्षार समान मात्रा में होते हैं।
8. अणु में दो लम्बे गुणसूत्रों की कुण्डली (helix) होती है जिसमें असंख्य न्यूक्लियोटाइड्स के जोड़े एक क्रम में व्यवस्थित होते हैं तथा DNA में न्यूक्लियोटाइड्स की संख्या अधिक होती है। (4,3 millions तक)
9. DNA एक अनुवंशिक पदार्थ (genetic material) है जो कोशिका में होने वाली समस्त क्रियाओं को नियंत्रित रखता है।
10. DNA में क्षार संगठन AT=G/C=1 होता है।
प्रश्न 4. नीरेनवर्ग तथा H.G. खुराना के योगदान का वर्णन कीजिए।
एच.जी. खुराना तथा नीरेनबर्ग का योगदान
(Contribution of H.G.Khurana & Nirenberg)
उत्तर-
सन् 1961 ई. में Nirenberg तथा Mathaei ने प्रयोगों द्वारा आनुवंशिक कूट की खोज करके उसके अस्तित्व को प्रमाणित किया। उन्होंने RNA का संश्लेषण करने में सफलता पाई, जिसमें केवल एक ही क्षार-यूरेसिल के अणु थे। इसे Polyurdylic (Polu-U) अणु की संज्ञा दी गई। संश्लेषित । को बीस Amino Acid व आवश्यक ATP सहित PolyE.Coli से निद्नासित प्रोटीन संश्लेषी इन्जाइम युक्त कोशिका मुक्त प्रणाली में रखा। कुछ समय बाद फिनायल एलेनीन की बन्धुता से एक छोटा सा Protein के समान अणु निर्मित हुआ। सन् 1965 ई. में R.W. Holley तथा उनके सहयोगियों ने Yeast alanine t-RNA की आण्विक रचना की खोज की। इसके बाद खुराना तथा उनके सहयोगियों ने 1970 में होले की खोज के आधार पर yeast alanine t-RNA के जीन की संरचना की। इस जीन में Nucleotide की संख्या कम होती है (केवल 77 जोड़े) जिसका क्रम निश्चित क्रम से होले तथा उनके सहयोगियों ने ज्ञात कर लिया था। अतः इस जीन में कृत्रिम संश्लेषण के लिए उनके सम्मुख 77 जोड़े Nucleotides को ठीक श्रृंखला में जोड़ने का कार्य था। उनकी तकीनक थी कि पहले इन छोटे Nucleotides की छोटी श्रृंखला का रासायनिक संश्लेषण फिर H बन्धकों से जोड़कर पूरक श्रृंखला का निर्माण। इसके बाद दूसरी कार्य था इन्जाइम के द्वारा इन दो श्रृंखला वाले छोटे टुकड़ों को जोड़ने का। इस कार्य के लिए उन्होंने DNA की मरम्मत करने वाले विकर Polynucleotide Ligase का संश्लेषण किया। इस प्रकार अन्त में ऐसे DNA अणु के संश्लेषण में सफलता प्राप्त की, जिसके दो बलयों में से प्रत्येक में 77 Nucleotides थे। ये अणु ऐलेलीन ट्रान्सफर के प्राकृतिक जीन के तुल्य था। 1975 में खुराना तथा उनके सहयोगियों ने E. Coli जीवाणु के Tryosine t-RNA जीन का संश्लेषण किया। इसमें 126 जोड़े Nucleotides होते हैं।
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