हम इस पोस्ट में विराम-चिह्रों , ये कितने प्रकार के होते है। और साथ ही साथ जानेंगें की कौन सा चिह्र कब प्रयोग किया जाता है। जब हम किसी के विचारों को सुनते है या अपने विचारों को किसी को समझाते है तो वहाँ पर विराम चिह्रों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है तो फिर आइए जाने विराम चिह्मों के बारे में-
विराम का मतलब होता है रुकना या कभी कभी हम बात चीत के दौरान हम साँस ले के रुकते या बोलते समय रुक कर किसी बात पर जोर देते है या फिर रुक के बोलते है। रुकने कि यही सारी प्रक्रिया विराम कहलाती है और इस विराम प्रक्रिया को लिखित रुप देने के लिए हम लोग कुछ संकेतो या चिह्रों का प्रयोग करते है। और यही संकेत को हम विराम चिह्र भी कहते है
"written language मे प्रयोग होने वाले Signs or markings को ही हम लोग विराम-चिह्न कहते है"
विराम-चिहनों की आवश्यकता-
मानव बोलते समय सभी वाक्यों को निरंतर नहीं बोलता। वह अपनी बातों को बोधगम्य बनाने के लिए
बीच-बीच में रुकता है। उसकी वाणी में लोच, सुर तथा ताल कहीं अधिक ऊँची होती है तो कहीं नीची। कहीं प्रश्न पूछने का अंदाज, तो कहीं आश्चर्य। मौखिक भाषा में ये विराम, अंदाज और उतार चढ़ाव भाषा के अर्थ और मुख्य भाव को परिवर्तित कर देते हैं। अत: विराम-चिह्नों का प्रयोग अत्यावश्यक है। ये चिह्न पदों, पदबंधों, वाक्यांशों अथवा वाक्यों को या तो अलग करते हैं या उसमें परस्पर संबंध जोड़ते हैं।
प्रमुख विराम-चिहुन निम्नलिखित हैं-
1. पूर्ण विराम अथवा पाई चिह्न (Sign of Full Stop)->।
2. प्रश्नसूचक चिह्न (Sign of Mark of Interrogation)- >?
3. विस्मय या संबोधक चिह्न (Sign of Mark of Exclamation)-> !
4. अल्प विराम चिह्न (Sign of Comma)- > ,
5. अद्ध विराम चिह्न (Sign of Semi Colon)-> ;
6. रेखिका / निर्देशक चिह्न (Sign of Dash)-> _
7. उपविराम या अपूर्ण विराम चिह्न (Sign of Colon)-> :
8. विवरण चिह्न (Sign of Following)-> :-
9. समासक या योजक चिह्न (Sign of Hyphen)-> -
10. संक्षेपक या लाघव चिह्न (Sign of Abbreviation)-> ०
11. अवतरण या उद्धरण चिह्न (Sign of Inverted Comma)-> "..."
12. कोष्ठक चिह्न (Sign of Bracket)-> (),[ ],{ }
13. हुटिपूरक या हंसपद चिहन (Sign of Left Word)-> ^
1. पूर्ण विराम अथवा पाई चिह्न (।)–प्रश्नवाचक वाक्यों को छोड़कर सभी वाक्यों के अंत में 'पूर्ण
विराम' लगाया जाता है। इसमें लगभग अर्ध विराम से दुगुना समय लगता है।
जैसे-(i) अनुशासनहीनता देश के लिए घातक है।
(ii) माता खाना खा रही है।
दोहा, चौपाई, छंद की समाप्ति पर भी 'पूर्ण विराम चिह्न' का प्रयोग किया जाता है।
जैसे- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात. ते सिल पर परत निसान।
2. प्रश्नसूचक चिह्न (?)-प्रश्नसूचक वाक्यों के अंत में पूर्ण विराम के स्थान पर इस चित्र का प्रयोग किया जाता है। जैसे-(i) आप कौन हैं?
(ii) क्या आप मेरे साथ चलोगे?
3. विस्मय या संबोधक चिह्न (!)-विस्मय, घृणा, शोक, हर्ष या आश्चर्य का भाव प्रकट करने वाले शब्द, वाक्यांश अथवा वाक्य के अंत में इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-(i) वाह! तुमने तो कमाल कर दिया।
(ii) हाय! मैं मारा गया।
4.अल्प विराम चिह्न (,)-पढ़ते अथवा बोलते समय जहाँ बहुत थोड़ी देर ठहरना पड़े, वहाँ अल्प
विराम चिह्न का प्रयोग किया जाता है। जैसे—(i) लोकमान्य तिलक, मालवीय, महात्मा गांधी मार
नेता थे। जैसे-
(ii) वह ईमानदार, परिश्रमी, स्वस्थ और सुंदर है।
विशेष- - इसका प्रयोग वाक्य में दो या दो से अधिक समान पदों या पदबंधों को अलग करने के लिए, हाँ या नहीं के बाद, किसी वाक्यांश को अलग करने के लिए तथा उपाधियों, महीने की को
को अलग करने के लिए किया जाता है।
जैसे-बी०ए०, बी०एड०, 15 अगस्त, 1945।
5. अर्ध विराम चिह्न (;)-वाक्य की पूर्ण समाप्ति न होने पर भी जहाँ बीच में समाप्ति-सी लगे। अगले वाक्य से जोड़ने वाले अव्यय का अभाव हो, तब इसका प्रयोग होता है।
जैसे-(i) भाषा मनुष्य को मनुष्य बनाती है; मानव को मानव से प्रेम करना सिखाती है।
(ii) काम करते रहना ही जीवन है; आलस्य तो रोग है।
6. रेखिका निर्देशक चिह्न-अपनी बात को स्पष्ट करने के लिए या उदाहरण देने के लिए
निर्देशक-चिह्न' का प्रयोग किया जाता है। इस चिह्न का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जाता है।
(i) कथोपकथन में बोलने वाले के नाम के आगे।
जैसे-लाला लाजपतराय-पंजाब केसरी–ने अंग्रेज़ी साम्राज्य की जड़ें हिला दी थीं।
(ii) वक्ता की बात बताने के लिए।
जैसे-कबीर जी कहते हैं-"सांच बराबर तप नहीं।"
(iii) विषय-विभाग संबंधी प्रत्येक शीर्षक के आगे।
जैसे-समस्त जीव-जंतु-गाय, भैंस, बकरी, हिरण, कौआ आदि।
7. उपविराम/अपूर्ण विराम चिह्न (:)-जहाँ किसी बात को पृथक करके दिखाना हो, वहाँ 'उपविराम चिह्न' का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-(i) विज्ञान : वरदान या अभिशाप।
8.विवरण चिह्न (:-) विवरण चिह्र का प्रयोग हम तब करते है जब किसी वाक्यांश का निर्देश देना होता है या उसके बारे में कोई विवरण आदि देना होता है
जैसे-निम्नलिखित कवियों को निमंत्रण भेजें
(इसका प्रयोग अब कम होता जा रहा है।)
9. समासक/योजक चिह्न (-)-इस चिह्न का प्रयोग समस्त-पदों के बीच लगाकर समास कीसूचना देता है। जैसे-माता-पिता, सुख-दुख, दाल-भात आदि।
10. लाघव चिह्न (०)-किसी शब्द को संक्षेप में लिखने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।
जैसे-पंडित नेहरू = पं० नेहरू। डॉक्टर = डॉ।
11. अवतरण या उद्धरण चिह्न ("....")-इस चिह्न का प्रयोग किसी वक्ता या लेखक की उक्ति को ज्यों या त्यों उद्धृत करने के लिए किया जाता है।
जैसे-तिलक ने कहा, "स्वतंत्रता हमारा जन्म-सिद्ध अधिकार है।"
12. कोष्ठक चिह्न ( [ { } ] )-किसी पद का अर्थ प्रकट करने के लिए अथवा किसी वाक्यांश का
अर्थ प्रकट करने के लिए 'कोष्ठक चिह्न' का प्रयोग किया जाता है।
जैसे-
(ii) गीता (हँसकर) नहीं रवि, ऐसा कुछ नहीं।
13, त्रुटिपूरक/हंसपद चिह्न (^)-इस चिह्न का प्रयोग वाक्य में किसी छूटे हुए शब्द को सूचित करने के लिए किया जाता है। जैसे-
(i) उसने मुझे पुस्तक दी।
^
(i) मैं आज गाड़ी से दिल्ली जाऊँगा।
^
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