Advertisement

Responsive Advertisement

पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण || security and protection of environment in Hindi

 इस पोस्ट में हम पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण,पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य,पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में जानेंगे

पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण
(Protection and protection of environment) 

आज हमार पर्यावरण अत्यन्त प्रदूषित हो गया है। पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण अत्यन्त आवश्यक हो गया है। पर्यावरण प्रदूषण के कारण मानव  का जीवन मुश्किल में पड़ गया है। पर्यावरण असन्तुलन के कारण ही धरती पर अनेक जीवधारियों का अस्तित्व ही खत्म हो गया है।

जैसे-जैसे विज्ञान आगे बढ़ा वैसे ही मनुष्य अपने सुख-सुविधा के लिए सामान इकट्ठा करता रहा। गांव में पक्की सड़कें बनाई गईं। वाहनों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा था। शहरों का तेजी से विकास हुआ। कृषि योग्य भूमि पर ऊँचे-ऊँचे मकान बनाए जाते थे। जेनरेटर के शोर और धुएं ने शहरों का वातावरण जहरीला बना दिया। क्या आपने कभी सोचा है कि जीवन में आने वाले इन परिवर्तनों का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है?

मानव ने अपने क्रिया-कलापों द्वारा पर्यावरण को प्रदूषित किया है। वनों की अन्धाधुन्ध कटाई, वायु-प्रदूषण, जल स्रोतों में गिरता औद्योगिक कूड़ा-कचरा, वन्य प्राणियों का वध, परमाणुविक विस्फोट, युद्धों में प्रयुक्त घातक रासायनिक अस्त्र-शस्त्र आदि सभी क्रियाएँ पर्यावरण को असंतुलित करती हैं। इसीलिए मानव के लिए यह आवश्यक हो जाता है कि वह पर्यावरण को सन्तुलित बनाये रखने हेतु अपने अन्दर जागरूकता लाये।

पर्यावरण संरक्षण मानव और पर्यावरण के बीच सम्बन्धों को सुधारने की एक प्रक्रिया है जिसके दो उद्देश्य हैं-


पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य
(environmental protection objectives)

1. उन मानवीय क्रिया-कलापों का नियमन एवं प्रबंधन करना है जिनकी वजह से पर्यावरण को क्षति पहुँचती है।
2. मानव की जीवन-शैली को पर्यावरण की प्राकृतिक व्यवस्था के अनुरूप आचारपरक बनाना है।

पर्यावरण संरक्षण के उपाय
(environmental protection measures)

पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाने चाहिए-

1. पर्यावरण बोध तथा जनमानस में जागरूकता-प्राचीन काल से भारत के नागरिक पर्यावरण के प्रति जागरूक रहते आये हैं। वैदिक काल में रात को पेड़ से पत्ते तोड़ने की मनाही थी। हरे वृक्षों के काटना जीव हत्या माना जाता था। वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण के प्रति ऐसी ही चेतना जागृत करने की आवश्यकता है।

2. जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण-सीमित संसाधनों पर असीमित जनसंख्या दबाव के कारण विकासशील तथा पिछड़े देशों में गरीबी, अशिक्षा, असंतोष आदि में वृद्धि होती जा रही है जिससे पारिस्थितिक असन्तुलन की स्थिति उत्पन्न हो गयी है, अत: पर्यावरणको बचाने के लिए जनसंख्या वृद्धि पर नियन्त्रण अति आवश्यक है।

3. प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण-प्रकृति में उपलब्ध संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग करना, संसाधनों के पुनर्चक्रण और जीवाश्म ईंधनों के स्थान पर नवीकरण योग्य ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करना। वनों और वन्य जीवन का संरक्षण करना।

4. प्रौद्योगिकी में सुधार-सुरक्षित एवं प्रदूषणरहित पर्यावरण का निर्माण करने के लिए पर्यावरण सुधार सम्बन्धी प्रौद्योगिकी में सुधार करना आवश्यक होता है। मौसम व जलवायु सम्बन्धी तत्त्वों की पूर्व सूचना या भविष्यवाणी करके सम्भावित खतरों से बचने के लिए पुरानी तकनीकी के स्थान पर नवीन तकनीकी को अपनाने की आवश्यकता है।

5. नाभिकीय विस्फोटों पर नियन्त्रण-विश्व के विभिन्न देश परमाणु एवं हाइड्रोजन अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण कर चुके हैं जिससे मानव जन-जीवन तथा पर्यावरण पर खतरा मँडराने लगा है। प्रथम विश्व युद्ध में रासायनिक हथियारों के प्रयोग से सैनिकों को हाँफते, मुँह से झाग बहाते और दम घुटकर मरते देखा गया था। अतः सन् 1925 में रासायनिक एवं जैविक हथियारों का निषेध करने के लिए जेनेवा प्रोटोकाल' पर हस्ताक्षर किये गये थे। द्वितीय विश्व यद्ध में अमेरिका द्वारा जापान पा गिगये गाये परमाणु बम का विनाश आज तक जापानी झेल रहे हैं। अत: इन अस्त्र-शस्त्रों के निर्माण, प्रयोग एवं संचालन पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाना अति आवश्यक है।

6. शीत भण्डारण के विकल्पों की खोज-क्लोरो-फ्लोरो-कार्बन तथा फोओन जैसी गैसों के विकल्पों की खोज अति
आवश्यक है। विकल्प के रूप में बायोएक्ट 5, सी-7, एच.एफ.सी. 134 ए गैस को प्रयुक्त करना चाहिए।

7. गमायनिक पदार्थों का न्यूनतम उपयोग-कषि उत्पादन में वृद्धि के लिए   रासायनिक खादों तथा कोटनाशकों का अधिक मात्रा में प्रयोग किया जाता है। ये कत्रिम रसायन कृषि उत्पादन में वृद्धि के माथ-साथ मिट्टी तथा जलाशयों, झीलों, नदियें, समुद्रों और भूमिगत जल को भी प्रदूषित करते हैं। कृषि में रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करने, रोकने और नियन्त्रित करने का प्रयास करना चाहिए।

8. वैधानिक उपाय- पर्यावरण प्रबन्धन के लिए कुछ वैधानिक उपाय भी आवश्यक होते हैं। भारत में जल, वन या वन्य-जीवों की सुरक्षा के लिए कई नियम-कानून बनाये गये हैं। इनका कड़ाई से पालन हो, तभी पर्यावरणीय नियोजन प्रभावी होगा। भारत में अब हरे-भरे वृक्षों के कटान पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

9. पर्यावरण शिक्षा एवं प्रशिक्षण-पर्यावरण नियोजन का एक महत्त्वपूर्ण आयाम पर्यावरणीय शिक्षा एवं प्रशिक्षण से सम्बद्ध है। पर्यावरणीय शिक्षा और प्रशिक्षण जन-चेतना जगाने में सहायक होता है। जल प्रबंधन, प्रदूषण निदान, वक्षारोपण, यातायात नियन्त्रण, मल-मूत्र उपचार, अपशिष्टों का शोधन, सूचना सहायता जैसे कार्य इसके मुख्य रूप हैं। पर्यावरण शिक्षा की चेतना को पहल 1972 में स्टाकहोम में आयोजित संगोष्टी से आरम्भ हुई।

10. शोध एवं अनुसंधान-पर्यावरण प्रबन्धन के उचित संचालन के लिए पर्यावरणीय अनुसंधान आवश्यक है। प्राकृतिक आपदाओं-भूकम्प, तूफान, बाढ़, सूखा आदि तथा वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए निरन्तर शोध एवं अनुसंधान पर बल देना भी पर्यावरण प्रबन्धन का महत्त्वपूर्ण पक्ष है।

हमारे देश में पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए लगभग 200 कानून अब तक लागू किये जा चुके हैं। संविधान के 42वें संशोधन के अन्तर्गत पर्यावरण की सुरक्षा सम्बन्धी मुद्दे सम्मिलित किये गये हैं। राज्य के नीति-निर्देशक सिद्धानों एवं मूल कर्तव्यों में भी पर्यावरण के संरक्षण की बात की गयी है।

हमारे देश में जल, भूमि, वायु के प्रदूषण के नियंत्रण एवं निगरानी हेतु केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड' स्थापित किया गया है।
वन्य-जीवों की सुरक्षा एवं संरक्षण हेतु वन्य जीव अभ्यारण्य', 'राष्ट्रीय उद्यान', 'जैवमण्डल आरक्षित क्षेत्र' स्थापित किये गये हैं। फिर भी हमें पर्यावरण के प्रति अभी और सचेत होने की आवश्यकता है।

उपर्युक्त तथ्यों पर ध्यान देकर हम पर्यावरण को सन्तुलित बनाये रख सकते हैं. तभी  मानव जीवन सुरक्षित रह सकेगा और पर्यावरण का संक्षरण किया जायेगा। प्रकृित के सीमित संसाधनों का उपयोग विवेकपूर्ण ढ़ंग से होना चाहिए जिससे मानव का जीवन अधिक समय तक सुरक्षित रह सके।

 कुछ महत्त्वपूर्ण बिन्दु-
1. सन् 1925 में रासायनिक एवं जैविक हथियारों का निषेध करने के लिए 'जेनेवा प्रोटोकॉल' पर हस्ताक्षर किए गये थे।
2.हमारे देश में जल, वायु एवं भूमि के प्रदूषण के नियंत्रण एवं निगरानी हेतु 'केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ' स्थापित किया गया है।
3. पर्यावरण संरक्षण मानव और पर्यावरण के बीच सम्बन्धों को सुधारने की एक प्रक्रिया है।
4.पर्यावरण प्रबंधन के उचित संचालन के लिए पर्यावरणीय अनुसंधान आवश्यक है।
5.पर्यावरण शिक्षा की चेतना की पहल सन् 1972 में स्टॉकहोम में आयोजित संगोष्ठी मे आरम्भ हुई।
6.कृषि में रासायनिक कीटनाशकों के उपयोग को कम करने, रोकने और नियंत्रित करने का प्रयास करना चाहिए।


Conclusion-
 इस पोस्ट में हम पर्यावरण की सुरक्षा एवं संरक्षण,पर्यावरण संरक्षण के उद्देश्य,पर्यावरण संरक्षण के उपाय के बारे में जाना।



इन्हें भी देखें-








Post a Comment

0 Comments

Search This Blog