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फ्लोचार्ट क्या है || what is flowchart in hindi

इस पोस्ट में हम फ्लोचार्ट क्या होता है।,फ्लोचार्ट के प्रतीक, फ्लोचार्ट के नियम ,फ्लोचार्ट के लाभ,फ्लोचार्ट की कमियाँ  के बारे में जानेंगे  





फ्लोचार्ट
(FLOWCHART)

फ्लोचार्ट किसी भी प्रोसेस के विभिन्न चरणों को चित्रों द्वारा प्रस्तुत करने की तकनीक है। फ्लोचार्ट द्वारा प्रस्तुत किया गया प्रोसेस एक सम्पूर्ण प्रोग्राम भी हो सकता है और प्रोग्राम का कोई भाग भी हो सकता है। फ्लोचार्ट में 'फ्लो' (flow) शब्द का अर्थ है-बहाव। यह शब्द प्रोग्राम के कंट्रोल के बहाव यानि कंट्रोल-फ्लो (control flow) के लिए प्रयोग किया गया है। इस तकनीक से कार्यक्रम के विभिन्न चरणों को बहुत आसानी से जाना जा सकता है। यदि फ्लोचार्ट को संक्षेप में परिभाषित किया जाए तो “फ्लोचार्ट,ग्राफिक्स प्रतीकों का एक समूह है जिसके द्वारा हम प्रोग्राम के लॉजिक का प्रस्तुतीकरण करते हैं।

फ्लोचार्ट के प्रतीक 
(Symbols of Flowchart)

फ्लोचार्ट में प्रोग्राम की विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को विभिन्न प्रकार के प्रतीकों द्वारा प्रदर्शित किया जाता है, ये प्रतीक अलग-अलग आकृति एवं आकार के होते हैं। एक प्रतीक किसी विशेष प्रकार की क्रिया के लिये ही प्रयोग किया जाता है। वैसे तो फ्लोचार्ट निर्माण में 30-35 प्रतीकों का प्रयोग किया जाता है। इनमें से कुछ प्रतीक सामान्य प्रयोग के एवं कुछ विशेष प्रयोग के होते हैं। एक साधारण प्रोग्राम को बनाने के लिए विशेष प्रतीकों की आवश्यकता नहीं पड़ती। अतः हम यहाँ पर सामान्य प्रयोग के प्रतीकों (symbols) पर ही ध्यान केन्द्रित करेंगे।


उद्देश्य- प्रोग्राम में डेटा इनपुट लेने या आउटपुट देने की क्रिया इनपुट/आउटपुट सिम्बल द्वारा प्रदर्शित की जाती है।


उद्देश्य- प्रोग्राम में ऐसे अनेक पॉइंट आते हैं, जहाँ कंट्रोल-फ्लो की दिशा किसी न किसी कंडीशन के
परिणाम पर निर्भर करती है। कंडीशन के आधार पर ही अगले चरण का निर्णय लिया जाता है। ऐसे
पॉइंट कंडीशन निर्णय सिम्बल द्वारा प्रदर्शित किए जाते हैं। निर्णय सिम्बल से दो या अधिक निर्देश मार्ग(instruction path) निकलते हैं। कंडीशन के आधार पर उनमें से किसी एक मार्ग पर कंट्रोल ट्रांसफर हो जाता है।



उद्देश्य- फ्लो-लाइन तीर की भाँति होती है। तीर का निशान जिस दिशा में होता है, ये उस दिशा में कंट्रोल-फ्लो को दिखाती है। सामान्यतः फ्लो-लाइन की दिशा ऊपर से नीचे, नीचे से ऊपर, दाएँ से बाएँ एवं बाएँ से दाएँ होती है। कोई भी दो प्रतीक (symbols) फ्लो-लाइन सिम्बल द्वारा ही जुड़े रहते हैं।


उद्देश्य- कभी-कभी किसी बड़े प्रोग्राम के लिए बनाए जा रहे फ्लोचार्ट इतने बड़े होते हैं कि एक पेज पर नही आ पाते हैं अनेक भागों में बाँट कर बनाया जाता है । प्रोग्राम के अनेक मॉड्यूल के लिए भी अलग-अलग फ्लोचार्ट बनाए जा सकते हैं या एक छोटे जटिल प्रोग्राम की जटिलता को कम करने के लिए भी फ्लोचार्ट को एक से अधिक हिस्सों में बाँट दिया जाता है। इन बँटे हुए हिस्सों को कनेक्टर के  माध्यम से जोड़ा हुआ दिखाया जाता है।


फ्लोचार्ट के नियम 
(Rules of Flowchart)

फ्लोचार्ट का निर्माण प्रोग्राम के लॉजिक के अनुसार होता है, फ्लोचार्ट बनाते समय बातों का ध्यान रखना चाहिये-
1. फ्लोचार्ट बनाने से पहले समस्या के बारे में सभी जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिएँ।
2. समस्या को हल करने का तर्क ज्ञात होना चाहिए।
3. कन्ट्रोल-फ्लो की दिशा ऊपर से नीचे या बायें से दायें होनी चाहिए।
4. जटिल प्रोग्राम को अलग-अलग भागों में बाँटकर कनेक्टर प्रतीक का प्रयोग करना चाहिए।
5. प्रत्येक फ्लोचार्ट का टर्मिनल प्रतीक द्वारा ही आरम्भ तथा अन्त होना चाहिए।
6. फ्लो-लाइन एक-दूसरे को न काटें।
7. किन्हीं दो सिम्बल के बीच में पर्याप्त दूरी होनी चाहिए एवं सिम्बल के अन्दर लेख स्पष्ट एवं मैक्षिक होना चाहिए।
8. फ्लोचार्ट में प्रतीक बनाते समय उनके आकार पर विशेष ध्यान देना चाहिए।


फ्लोचार्ट के लाभ 
(Advantage of Flowchart)

1. कम्यूनिकेशन प्रोसेस के बारे में अन्य व्यक्तियों को जानकारी या प्रशिक्षण (training) देना होने फ्लोचार्ट का प्रयोग किया जा सकता है।

2. अच्छी एनालिसिस प्रोसेस का विश्लेषण करना हो तो फ्लोचार्ट का प्रयोग किया जा सकता है। यदि देखना हो कि पूरा प्रोसेस किस प्रकार कार्य कर रहा है, यदि डेटा के अन्तः परिवर्तन (transfe- mation) को देखना एवं समझना हो (input-process-output cycle), और यदि प्रोसेस का लॉजिक समझना हो अथवा उसमें कोई परिवर्तन करना हो तो फ्लोचार्ट का प्रयोग किया जाता है।

3. सरल और आसान कन्ट्रोल लॉजिक—फ्लोचार्ट में लॉजिक की आउटलाइन प्रदर्शित की जाती है। उसमें पूरा ध्यान प्रोग्राम के प्लान पर होता है, उसके सापेक्ष कोड पर नहीं।

4. सरलता से त्रुटि निवारण—प्रोग्राम का फ्लोचार्ट आगे चल कर प्रोग्राम डॉक्युमेन्ट का महत्वपूर अंग बन जाता है। इसके द्वारा प्रोग्राम में शुरू से आखिर तक किए गए सुधारों एवं परिवर्तनों का रिकॉर्ड रखने में, उन्हें समझने में सरलता रहती है।

5. एफीशियंट प्रोग्राम मेन्टीनेन्स


उदाहरण- दो संख्याएँ पढ़िये और उनका योग और औसत फ्लोचार्ट के द्वारा निकालिए।
हल-



फ्लोचार्ट की कमियाँ 
(Drawbacks of Flowchart)

1. ऐल्गोरिथम की अपेक्षा फ्लोचार्ट बनाना एक जटिल एवं अधिक समय लेने वाला कार्य है। एक बड़े प्रोग्राम के लिए फ्लोचार्ट में अनेक प्रतीक बनाना, उनके मध्य पर्याप्त स्थान रखना तथा उनमें लिखना एक थका देने वाला कार्य है।

2. यदि एक बार फ्लोचार्ट ड्रॉ कर लिया गया तो उसमें किसी भी प्रकार के परिवर्तन का अर्थ है पूरा फ्लोचार्ट पुनः ड्रॉ करना, जो कि दोबारा एक थका देने वाला कार्य हो जाता है।

मॉड्यूलर डिजाइन तकनीक
(MODULAR DESIGN TECHNIQUE)

यदि प्रोग्राम छोटा हो तो उसे एक साथ पूरा का पूरा तैयार किया जा सकता है लेकिन यदि वह बड़ा एवं जटिल है तो ऐसा करने में कठिनाइयाँ आती हैं अतः एक बड़े एवं जटिल प्रोग्राम को सरल बनाने के लिए उसे अनेक भागों में विभक्त कर दिया जाता है, और ऐसा मॉड्यूलर डिजाइन तकनीक का प्रयोग करके किया जाता है।

इस डिजाइन तकनीक में एक बड़े प्रोग्राम को अनेक छोटे भागों में बाँट दिया जाता है। इन छोटे प्रोग्रामों को सब-प्रोग्राम या मॉड्यूल कहते हैं। प्रत्येक सब-प्रोग्राम अलग से डिजाइन, कोड एवं डिबग किया जा सकता है। इस विशेषता के कारण एक बड़े प्रोग्राम को तैयार करने एवं उसका रख-रखाव करने में अत्यधिक आसानी रहती है, क्योंकि जिस सब-प्रोग्राम में कोई त्रुटि होती है, मात्र उसी को डिबग करना, टेस्ट करना एवं ठीक करना होता है, पूरे प्रोग्राम को कम्पाइल या टैस्ट करने की आवश्यकता नहीं होती है।


बाद में इन सभी मॉड्यूल को आपस में लिंक करके एक सम्पूर्ण बड़े प्रोग्राम की शक्ल दे दी जाती प्रत्येक मॉड्यूल को प्रदर्शित करने के लिए एक विशेष प्रकार के सिम्बल का प्रयोग होता है। यह सिम्र
है-


.
मॉड्यूल को सामान्य फ्लोचार्ट से ही प्रदर्शित किया जाता है परन्तु मॉड्यूल के आरम्भ तथा अन्त बॉक्स सामान्य फ्लोचार्ट से भिन्न होते हैं। मॉड्यूल के आरम्भ के बॉक्स में मॉड्यूल का नाम तथा अन्त: मुख्य फ्लोचार्ट में प्रवेश के लिए निर्देश दिए होते हैं। सामान्यतः अन्तिम बॉक्स में रिटर्न (Return) लिखा जाता है।


इस चित्र में मुख्य फ्लोचार्ट को दर्शाया गया है। मुख्य प्रोग्राम को दो छोटे भागों में बाँट दिया गया है। इन छोटे प्रोग्रामों को अलग-अलग फ्लोचार्ट से प्रदर्शित किया गया है।

उदाहरण -एक वृ एवं त्रिभुज के क्षेत्रफल की गणना करने के लिए फ्लोचार्ट बनाइए।


Conclusion-
इस पोस्ट में हमने फ्लोचार्ट क्या होता है।,फ्लोचार्ट के प्रतीक, फ्लोचार्ट के नियम ,फ्लोचार्ट के लाभ,फ्लोचार्ट की कमियाँ  के बारे में जाना 

इन्हें भी  देखें-


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