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बहुविकल्पीय एलील्स (मल्टीपल एलिलिज्म ) क्या है। || bahuvikalpeey eleels kya hai

इस पोस्ट मे हम बहुविकल्पीय एलील्स (मल्टीपल एलिलिज्म ) क्या है।, बहुविकल्पी एलील की परिभाषा,बहुविकल्पी एलीलों का विस्तार से वर्णन, मल्टीपिल ऐलीलिज्म पर एक निबन्ध,मल्टीपिल ऐलील्स क्या है? ड्रोसोफिला में बहुविकल्पी एलीलों द्वारा निर्धारित किसी एक लक्षण की आनुवंशिकी का संक्षिप्त वर्णन ,क्या जीन के दो से अधिक एलील्स हो सकते हैं? उदाहरण सहित,बहुविकल्पी जीनों के लक्षण के बारे में चर्चा करेंगे-





बहुविकल्पी एलील्स (Multiple Alleles)

बहुविकल्पी एलील्स-

प्राणियों के विभिन्न लक्षण जीनों द्वारा निर्धारित होते हैं। आनुवंशिकी रूप से प्रत्येक जीव में सैकड़ों लक्षण हैं और इन्हीं के अनुरूप जीनों की संख्या भी सैकड़ों से हजारों तक होती है, लेकिन प्रकृति में केवल वे ही जीन ज्ञात हैं जो उत्परिवर्तन के फलस्वरूप एक वैकल्पिक अभिव्यक्ति प्रदर्शित करते हैं। मेण्डल ने सामान्य जीन या ऐसे जीन द्वारा नियन्त्रित लक्षण के वैकल्पिक रूप को ऐलील या युग्म विकल्पी allele का नाम दिया। अतः मटर के पौधे में लम्बेपन एवं बौनेपन के लक्षण एक-दूसरे के युग्म विकल्पी हैं। प्राणियों के प्रत्येक लक्षण के लिये युग्मकों (gametes) के माध्यम से एक जीन या युग्म विकल्पी माता से तथा दूसरा पिता से प्राप्त होता है। कभी-कभी जीन समष्टि (Gene pool) में एक जीन के तीन अथवा अधिक उत्परिवर्ती अथवा विकल्पी होते हैं। इनको सामूहिक रूप से बहुविकल्पी (Multiple Alleles) कहते हैं। 

अतः बहुविकल्पी तीन चार अथवा अधिक युग्मविकल्पियों का वह सेट है, जो सामान्य जीन में परिवर्तन के फलस्वरूप विकसित होते हैं और सजातीय गुणसूत्रों में उसी बिन्दुपथ पर स्थित रहते हैं।


बहुविकल्पी ऐलील्स के लक्षण (Characteristics of Multiple Alleles) -


 बहुविकल्पी ऐलील्स के निम्नलिखित लक्षण होते हैं

1. ये ऐलील सजातीय गुणसूत्रों पर एक ही बिन्दुपथ पर स्थित होते हैं। स्पष्ट है कि गुणसूत्र पर युग्म विकल्पियों में से केवल एक ही विकल्पी स्थित होता है।

2. क्योंकि प्रत्येक द्विगुणित कोशिका (Diploid Cell) में एक प्रकार के केवल दो ही गुणसूत्र होते हैं, अतः कोशिका और जीन में बहुतविकल्पियों में केवल कोई दो जीन या विकल्पी विद्यमान होते हैं।

3. युग्मन अगुणित होते हैं, अर्थात् इनमें प्रत्येक प्रकार का केवल एक गुणसूत्र (एक सजातीय गुणसूत्र) होता है। अतः प्रत्येक युग्मविकल्पियों में से केवल एक युग्मविकल्पी होता है।

4. बहुविकल्पियों में क्रासिंग ओवर की क्रिया नहीं होती।

5. बहुविकल्पी एक ही लक्षण को नियंत्रित करते हैं, किन्तु इनमें से प्रत्येक का प्रभाव अलग-अलग होता है।

6. एक ही श्रृंखला के बहुविकल्पी एक-दूसरे के प्रति प्रभावी एवं अप्रभावी होते हैं। प्रायः सामान्य जीन अन्य सभी उत्परिवर्ती विकल्पियों के प्रति प्रभावी होता है।

7. बहुविकल्पियों की पूरी श्रृंखला को एक ही मूल अक्षर द्वारा प्रदर्शित किया जाता है तथा इसके विभिन्न विकल्पियों को सुपर क्रिप्ट्स अथवा सबक्रिप्ट्स द्वारा निरूपित किया जाता है।

उदाहरण के लिये Drosophila में नेत्र के लाल रंग को W से रुधिर के समान रंग को w से, इओसिन रंग के नेत्रों को WC से तथा श्वेत नेत्र को W से निरूपित करते हैं। जीवों की विभिन्न समष्टियों में युग्मविकल्पियों के अनेक उदाहरण मिलते हैं।

(1) शशक में बहुविकल्पी (Multiple Alleles in Rabbit) - शशक में आवरण के रंग निम्नलिखित अनुक्रम में देखने को मिलते हैं

(1) जीन (अगूटी Full Colou) - 

अन्य सभी विकल्पियों पर प्रभावी है। चिंचला (Cch) अगूटी को छोड़कर शेष दोनों (हिमालय व एल्बिनों) पर प्रभावी है। हिमालयन (ch) अगूटी व चिंचिला के लिये अप्रभावी है, किन्तु एल्बिनों पर प्रभावी है। इनके संभावित Phenotype (लक्षण प्रारूप) एवं जीनी संरचनायें निम्न प्रकार से हो सकती हैं




समयुग्मजी अगूटी तथा एल्बिनो (शुद्ध श्वेत) शशकों में संकरण के फलस्वरूप F, पीढ़ी में अगूटी 
आवरण वाले शशक उत्पन्न हुए। F पीढ़ी के शशक में परस्पर संकरण के फलस्वरूप F, पीढ़ी में अगूटी तथा एल्बिनो 3 : 1 के अनुपात में उत्पन्न होते हैं। 


अगूटी जीवों में ये 2/3 विषमयुग्मी होते हैं। इसी तरह चिंचिला (Chinchila) तथा अगूटी में संकरण में F, पीढ़ी में केवल अगूटी जीव उत्पन्न होते हैं तथा F, पीढ़ी में अगूटी व चिंचिला 3 : 1 के अनुपात में होते हैं। अतः चिंचिला एवं अगूटी के जीन युग्मविकल्पी हैं तथा अगूटी चिंचिला पर प्रभावी है।

चिंचिला एवं Abino में संकरण के फलस्वरूप F, पीढ़ी में सभी चिंचिला होते हैं। जब F पीढ़ी में चिंचिला एवं Albino में 3:1 का अनुपात होता है। अतः चिंचिला एवं Albino भी युग्मविकल्पी होते हैं तथा चिंचिला एल्बिनों पर प्रभावी है।


 इसी प्रकार Himalayan भी अगूटी, चिचिला या Albino या युग्मविकल्पी है। यह अगूटी एवं चिंचिला के लिये अप्रभावी है, किन्तु एल्बीनो के लिये प्रभावी है। इस प्रकार हम देखते हैं कि शशकों में आवरण के रंग को निर्धारित करने वाले प्रभावी जीन C में उत्परिवर्तन के फलस्वरूप बहुविकल्पियों की एक श्रृंखला उत्पन्न हो गई है।

अतः विसंयोजन एवं पुनः संयोजन का सिद्धान्त श्रृंखला के किसी भी दो genes के संचरण पर लागू होता है।

(2) ड्रोसोफिला में बहुविकल्पता या बहुविकल्पी श्रृंखला पंखों का लक्षण (Multiple Allelic Series in Drosophila) - 

फलमक्खी (Drosophila) में बहुविकल्पता के अनेक उदाहरण मिलते हैं। इनमें से एक पंखों की अपसामान्यतः है। सामान्य मक्खी में सुविकसित पंख होते हैं, जो मक्खी के उड़ने में सहायक होते हैं। यह लक्षण युग्मविकल्पी के अधीन है।


 इनके अप्रभावी विकल्पों से समयुग्मजी अवस्था में Vg लुप्तावेशी पंख बनते हैं, जिससे मक्खी उड़ नहीं सकती। इसे vgnw द्वारा निरूपित करते हैं। एक अन्य विकल्पी vga के होने पर पंखों के स्थान पर खाँचदार तथा Vgni होने पर कटान वाले पंख विकसित होते हैं।

 ये सभी Phenotype समयुग्मजी जीनोटाइप से विकसित होते हैं, लेकिन सामान्य जीन (Vg) श्रृंखला के अन्य सभी विकल्पियों पर प्रभावी है। इस श्रृंखला के Phenotype एवं Genotype निम्नलिखित प्रकार से हैं -

(i) लम्बे पंख     ++OVg+Vg' (wildtyh)

(ii) Vestigial लुप्तावेशी wings        Vg Vg

(ii) ढूंठ के समान (Antlered wing) Vga Vga

(iv) कटान वाले (Nicked wings) Vg ni,vg ni

(v) खाँचदार (Notched wings)    Vg no, vg no

(vi) पट के समान (Strapped wings) vg st, vg st

सभी उत्परिवर्ती ऐलील लम्बे पंखों के लिये अप्रभावी हैं किन्तु सभी उत्परिवर्ती सहप्रभावी (Codominant) होते हैं।

नेत्रों का वर्ण -

ड्रोसोफिला में नेत्रों का वर्ण काले रंग के जीन के 12 युग्मविकल्पियों की एक श्रृंखला द्वारा निर्धारित होता है।

चूहों, बिल्ली आदि में बहुविकल्पी श्रृंखला (Multiple Allelic Series in Mice & Cat) 

चूहों, बिल्ली व अन्य वृन्तकों में समूर वर्ण की बहुविकल्पता के कई उदाहरण मिलते हैं। चूहों में समूर वर्ण से सम्बन्धित बहुविकल्पी की दो श्रृंखलायें होती हैं।

प्रथम श्रृंखला एल्बिनो बिन्दुपथ पर स्थित होती है, जिसमें 4 जीन होते हैं। इसमें समूर का धूसर वर्ण (Gray coat colour) सामान्य विकल्पी है जिसे नेत्र में (+) द्वारा प्रदर्शित किया गया है। 

इसके अन्य जीन उत्परिवर्ती जीन हैं। ये क्रमशः एल्बिनो का कम गहरा धूसर (Medium Light Gray:am) तथा हल्का धूसर (Extreme Light : ae) है। ये तीनों उत्परिवर्ती जीन सामान्य जीन के प्रति प्रभावी है।

विकल्पियों की दूसरी श्रृंखला वाले बिन्दुपथ पर एक अन्य गुणसूत्र स्थित होता है। इस श्रृंखला सामान्य जीन समूह के धूसर वर्ण (+) के लिये आवश्यक कई जीनों में से कोई एक होता है।

 इस श्रृंखला के उत्परिवर्ती जीन इस प्रकार हैं। काला (b), पीला (y) धूसर शरीर किन्तु हल्का उदर (Black body with light belly bL) GL व bL दोनों ही उदर के हल्के वर्ण के लिये धूसर वर्ण के प्रति अप्रभावी होते हैं, जबकि पीला वर्ण श्रृंखला के समस्त विकल्पियों के प्रति अप्रभावी होता है।




बहुविकल्पियों का संयोजन एवं पुनः संयोजन (Segregation & Recombination of Multiple Alleles) -

एक सामान्य युग्मक में बहुविकल्पी श्रृंखला का केवल एक विकल्पी है। अत: दो विकल्पियों के पुनः संयोजन से बहुविकल्पी श्रृंखला के दो जीन साथ-साथ आ जाते हैं। किसी भी बहुविकल्पी श्रृंखला के दो विकल्पियों को क्रास कराने पर F2 पीढ़ी में समयुग्मजी प्रभावी विषमयुग्मजी तथा समयुग्मजी अप्रभावी 1:2:1 के अनुपात में होते हैं।





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