इसे पिछले पोस्ट में हम लोगो ने शशक का परिसंचरण तंत्र मे शशक का रुधिर परिसंचरण तंत्र, शशक के ह्रद् य की कार्यिकी,शशक की रुधिरवाहिनियाँ के बारे में जाना था आज हम लोग उसी के आगे शशक का धमनी तंत्र के बारे में जानेगें।
शशक का धमनी तंत्र
(ARTERIAL SYSTEM)
(1) फुफ्फुसीय या पल्मोनरी चाप (Pulmonary arch)
यह दाहिने निलय से निकलकर बायीं तथा पृष्ठतल की ओर घूम जाती है और दायीं एवं बायीं फुफ्फुसीय धमनियों (right and left pulmonary arteries) में बँट जाती है। प्रत्येक फुफ्फुसीय धमनी भी फिर शाखाओं में बैटकर अपनी ओर के फेफड़े के विभिन्न पिण्डों में चली जाती है (चित्र 34.8) ये धमनियाँ हृदय से अशुद्ध रक्त को शुद्धिकरण अर्थात् ऑक्सीजनीकरण (oxygenation) के लिए फेफड़ों में ले जाती हैं।
(2) ग्रीवा-दैहिक चाप (Carotico-systemic arch)
यह बायें निलय से शुद्ध रक्त को, विभिन्न शाखाओं द्वारा, शरीर के सभी अंगों में पहुँचाती है। बायें निलय से निकलकर यह भी बायीं तथा पृष्ठतल की ओर घूम जाती है। इसके आधार भाग से एक जोड़ी हृद या कॉरोनरी धमनियाँ (coronary arteries) निकल कर स्वयं हृदय की दीवार में जाती हैं। इसके बाद, चाप के घुमाव पर, इससे एक मोटी इन्नोमिनेट धमनी ( innominate artery) तथा एक बायीं अधोक्षक या सबक्लेविनय धमनी (left subclavian artery) निकलती हैं। इन्नोमिनेट शीघ्र दाहिनी तथा बायीं सहग्रीवा धमनियों (right and left common carotid arteries) में बँट जाती है। ये धमनियाँ लम्बी होती हैं और, ग्रीवा में होती हुई, सिर में घुसने से कुछ ही पहले, दो-दो शाखाओं में बँट जाती हैं जिन्हें बाह्य तथा अन्तःग्रीवा धमनियाँ (external and internal carotid arteries) कहते हैं। किसी-किसी शशक में इन्नोमिनेट नहीं होती और सहग्रीवा धमनियाँ कैरोटिको-सिस्टेमिक चाप से अलग-अलग निकलती हैं। दाहिनी सहग्रीवा धमनी के प्रारम्भिक भाग से दाहिनी अधोक्षक (right subclavian) धमनी निकलती है, लेकिन किसी-किसी शशक में यह इन्नोमिनेट से ही इसके विभाजन-स्थान से निकलती है। प्रत्येक सबक्लेवियन धमनी अपनी ओर के कन्धे में जाकर कशेरुक धमनी (vertebral artery), अन्तःस्तनि धमनी (internal mammary artery) तथा बाहु धमनी (brachial artery) में बँट जाती है। सहग्रीवा एवं सबक्लेनियन धमनियों की शाखायें निम्नलिखित अंगों को रक्त पहुँचाती हैं-
(1) बाह्य ग्रीवा धमनियाँ-
ये अपनी-अपनी ओर, सिर तथा जबड़ों की पेशियों, कर्णपल्लवों (ear pinnae), जीभ एवं होंठों को रक्त पहुँचाती हैं।
(2) अन्तःग्रीवा धमनियाँ-
ये अपनी-अपनी ओर, मस्तिष्क के विभिन्न भागों, नासिका, नेत्रों आदि में रक्त पहुँचाती हैं।
(3) कशेरुक धमनियाँ
ये ग्रीवा कशेरुकाओं की वर्टीबारटीरियल कुल्याओं (vertebrarterial canals) में होती हुई मेरुरज्जु (spinal cord) तथा मस्तिष्क के पश्च भागों में जाती हैं।
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(4) अन्तःस्तनी धमनियाँ-
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(4) अन्तःस्तनी धमनियाँ-
ये शरीर की अधर देहभित्ति से लगी पीछे बढ़कर हृदयावरण, डायक्रम तथा स्तन- ग्रन्थियों आदि को रक्त पहुँचाती हैं।
(5) बाहु धमनियाँ-
ये अपनी-अपनी ओर के अग्रपादों में प्रवेश करके अनेक छोटी शाखाओं द्वारा इनके विभिन्न भागों में रक्त पहुँचाती हैं।
पृष्ठ महाधमनी (Dorsal aorta)—
इन्नोमिनेट तथा बायीं सबक्लेवियन धमनियों को रक्त देने के बाद,कैरोटिको-सिस्टेमिक चाप पीछे और मध्य-रेखा की ओर घूम जाती है। इसे अब पृष्ठ महाधमनी कहते हैं। यह शरीर की मध्यपृष्ठ रेखा पर पीछे बढ़ती है और डायफ्रैम को बेधती हुई, पूँछ के भीतर तक चली जाती है। इसमें से
निम्नलिखित शाखाएँ निकल कर वक्ष तथा उदर भागों के विभिन्न अंगों को रक्त पहुँचाती हैं-
(1) इन्टरकॉस्टल धमनियाँ (Intercostal arteries)-
इनकी पाँच से सात जोड़ियाँ वक्ष भाग में पृष्ठ महाधमनी से एक के बाद एक निकलकर वक्ष की पृष्ठ देहभित्ति, पसलियों की पेशियों, पेरिकार्डियम, फेफड़ो, बॉन्काई, प्रासनली आदि में रक्त पहुँचाती है।
(2) मध्यपट या फ्रीनिक धमनियाँ (Phrenic arteries)
इनकी एक जोड़ी पृष्ठ महाधमनी से डायफ्रैम के निकट निकल कर इसी में रक्त पहुंचाती है।
यह एक अकेली धमनी डायफ्रैम के ठीक पीछे पृष्ठ महाधमनी से बायीं ओर निकलकर शीघ्र दो शाखाओं में बँट जाती है—(क) यकृत में जाने वाली यकृत धमनी (hepatic artery) तथा (ख) आमाशय और प्लीहा में जाने वाली लीनोगैस्ट्रिक धमनी (lienogastric artery) |
(4) अप्र अंत्रयुज धमनी (Anterior mesenteric artery)
सीलियक धमनी के कुछ ही पीछे यह भी एक अकेली धमनी पृष्ठ महाधमनी से बायीं ओर निकलकर कई शाखाओं में बँट जाती है और ड्यूओडिनम, अग्न्याशय, क्षुद्रांत्र, सीकम, कोलन आदि में रक्त पहुँचाती है।
(5) वृक्क धमनियाँ (Renal arteries)
ये दोनों ओर एक-एक होती हैं, परन्तु पृष्ठ महाधमनी से दाहिनी वृक्क धमनी कुछ आगे तथा बायीं कुछ पीछे से निकलती है। ये अपनी-अपनी ओर के गुर्दों (kidneys) में रक्त ले जाती हैं।
(6) जनद धमनियाँ (Gonadial arteries)—
ये भी दो होती हैं और पृष्ठ महाधमनी से एक ही स्थान पर निकलकर अपनी-अपनी ओर के जनदों (gonads) में जाती हैं।
(7) पश्च अंत्रयुज धमनी (Posterior mesenteric artery)—
यह एक अकेली धमनी पृष्ठ महाधमनी से बायीं ओर निकलकर कोलन के पिछले भाग तथा मलाशय में रक्त ले जाती है।
(8) कटि या लम्बर धमनियाँ (Lumbar arteries)—
इनकी कई जोड़ियाँ पश्च अंत्रयुज धमनी के पीछे पृष्ठ महाधमनी से निकलकर शरीर की पृष्ठ देहभित्ति में जाती हैं। लम्बर धमनियों के पीछे, उदरगुहा के नितम्ब भाग (pelvic region) में पहुँचकर, पृष्ठ महाधमनी स्वयं तीन शाखाओं में बँट जाती है-पाश्र्वों में, दाहिनी एवं बायीं सहनितम्ब धमनियाँ (right and left common iliac arteries) तथा मध्य में, पुच्छ धमनी (caudal artery) । प्रत्येक सहनितम्ब धमनी से एक नितम्ब-कटि या इलियो-लम्बर धमनी (ilio-lumbar artery) निकलकर शरीर की पृष्ठ देहभित्ति में चली जाती है। इसके बाद, सहनितम्ब धमनी स्वयं दो शाखाओं में बँट जाती है-बाहरी बाह्य नितम्ब धमनी (external iliac artery) तथा भीतरी अन्तःनितम्ब धमनी (internal iliac artery) । बाह्यनितम्ब धमनी अपनी ओर के पश्चपाद में घुसकर फेमोरल धमनी (femoral artery) हो जाती है। अन्तः नितम्ब धमनी शरीर की पृष्ठ देहभित्ति से लगी अनेक छोटी-छोटी शाखाओं द्वारा मूत्राशय, गर्भाशय, मलाशय तथा गुदा के निकटवर्ती भागों में रक्त पहुँचाती है। पुच्छ धमनी महीन और पूँछ के सिरे तक फैली होती है।
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